नई दिल्ली की जामिया मिल्लिया इस्लामिया एक बार फिर सुर्खियों में है. यहां के छात्र यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से लगाए गए बिना परमिशन प्रोटेस्ट पर बैन और कुछ छात्रों को दिए गए ‘कारण बताओ नोटिस’ के खिलाफ 10 फरवरी से प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन ये प्रदर्शन 13 फरवरी के बाद और तेज हो गए जब धरने पर बैठे छात्रों को सुबह के करीब 5 बजे दिल्ली पुलिस ने कैंपस में घुस कर डिटेन कर लिया.
पुलिस के डिटेन करने के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने प्रदर्शन में शामिल करीब 17 छात्र-छात्राओं को सस्पेंड किया और उनके फोटो, कोर्स, नाम-नंबर के साथ अन्य निजी जानकारी शेयर करते हुए यूनिवर्सिटी गेट पर नोटिस चिपका दिया. इस नोटिस में करीब 7 छात्राओं की डिटेल भी थी, जिसके बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया. छात्रों ने इसको राइट-टू-प्राइवेसी का उल्लंघन बताते हुए जामिया एडमिन पर आरोप लगाया है कि वो हमारी निजी जानकारी शेयर कर हमे लिंच या हैरेस कराना चाहते हैं.
सस्पेंड होने वाले 17 छात्रों में से एक छात्रा सोनाक्षी ने बात करते हुए कहा, “2019 में भी जामिया के छात्रों पर गोली चल चुकी है और कई छात्रों को ऑनलाइन हैरेस किया जा चुका है. अगर ऐसा कुछ हमारे साथ होता है, तो इसका सीधा जिम्मेदार जामिया प्रशासन होगा.” उन्होंने आगे कहा जामिया प्रशासन दिल्ली पुलिस से भी हमारे घर पर फोन कराकर हमारे मां-बाप पर दबाव बनवा रहा है कि वह अपने बच्चों को प्रोटेस्ट से दूर करें. वहीं अब जामिया के छात्र इसके खिलाफ 17 फरवरी को क्लासों का बहिष्कार करने जा रहे हैं.
कैसे हुई प्रोटेस्ट की शुरुआत?
दिसंबर 2019 में जामिया में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए थे, जिस दौरान 15 दिसंबर को जामिया में प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर पुलिस ने कार्रवाई की थी, जिसमें कई छात्र गंभीर रूप से घायल हुए थे. छात्रों ने बताया कि पिछले पांच सालों से जामिया के छात्र इस दिन को ‘जामिया रेसिस्टेंस डे’ के तौर पर मनाते हैं. जब 15 दिसंबर 2024 से पहले छात्रों ने यूनिवर्सिटी प्रशासन से इसको आयोजित करने की अनुमति मांगी तो प्रॉक्टर ऑफिस ने अनुमति देने से इंकार कर दिया और यूनिवर्सिटी को 15 दिसंबर के दिन बंद कर दिया गया है.
बंद करने के पीछे तर्क दिया गया कि यूनिवर्सिटी परिसर में मेंटेनेंस का काम चल रहा है. लेकिन छात्रों ने 16 दिसंबर को ‘जामिया रेसिस्टेंस डे’ मनाया और यूनिवर्सिटी के सेंट्रल कैंटीन पर प्रदर्शन किया. जिसके बाद 17 दिसंबर 2024 को प्रोटेस्ट लीड करने वाले PhD स्कॉलर सौरभ त्रिपाठी के अलावा ज्योति, फ़ुज़ैल शब्बर और निरंजन KS सहित तीन अन्य छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया, जिसमें उन पर कक्षाओं और शोध कार्य को बाधित करने और ‘अपने दुर्भावनापूर्ण राजनीतिक एजेंडे को पूरा करने’ का आरोप लगाया गया था.
बाद में, 9 फरवरी 2025 को त्रिपाठी और ज्योति को कथित तौर पर एक और नोटिस भेजा गया, जिसमें कहा गया कि कारण बताओ नोटिस पर उनका जवाब ‘असंतोषजनक’ था. साथ ही यूनिवर्सिटी ने एक और नोटिस जारी करते हुए कैंपस में किसी भी तरह के प्रदर्शन को बिना अनुमति आयोजित करने पर पाबंदी लगा दी. इस नोटिस के बाद जामिया के छात्र एक बार फिर सेंट्रल कैंटीन पर प्रदर्शन पर बैठ गए और मांग रखी