नई दिल्ली : आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर फ्री रेवड़ी बांटने वाले बयान पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री अपने चहेतों को जमकर फ्री की रेवड़ियां बांट रहे हैं. आरटीआई से हुए खुलासे के मुताबिक केंद्र सरकार अब तक 11 लाख करोड़ रुपये का कर्जा माफ कर चुकी है. मोदी सरकार देश के बैंकों को लुटवाने का काम कर रही है.

संजय सिंह ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सिंगापुर सरकार की तरफ से निमंत्रण दिए जाने के बावजूद मोदी सरकार अरविंद केजरीवाल को कार्यक्रम में सम्मिलित होने की मंजूरी नहीं दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अरविंद केजरीवाल और आप सरकार के दिल्ली मॉडल से डर गए हैं. नरेंद्र मोदी का फर्जी मॉडल का अंतरराष्ट्रीय मंच पर खुलासा न हो जाए इसलिए परमीशन नहीं दी गयी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी याद करें एक समय था जब उन्हें अमेरिका का वीजा नहीं दिया गया था. तो पूरे देश ने इसको गलत ठहराया था. तो ऐसे में अब दिल्ली के मुख्यमंत्री को सिंगापुर के कार्यक्रम में जाने की अनुमति न देना कैसे सही हो सकता है.

संजय सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में फ्री में रेवड़ी बांटे जाने का जिक्र किया है. मैं आज आपको बताता हूं कि किस तरह से प्रधानमंत्री खुद अपने चहितों को फ्री में रेवड़ी बांट रहे हैं. केंद्र ने अडानी को 72, 000 करोड़ का लोन माफ करके रेवड़ी बाटी है, जिसकी जानकारी आरटीआई के ज़रिए सामने आई है. आरटीआई में ये भी बताया गया है कि केंद्र सरकार ने कुल 11 लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ कर देश भर के बैंकों को कंगाल बना दिया है.

संजय सिंह ने कहा कि DHFL ने 17 बैंकों से 34,000 करोड़ रुपये का लोन लिया है. क्योंकि DHFL भाजपा का दोस्त है, 27 करोड़ का चंदा दिया है. इसके बाद मोदी ने 34,000 करोड़ रुपये बैंकों को लुटवा दिया. पीएम ने अपने अधिकारों का गलत प्रयोग करते हुए अडानी को 12000 करोड़ का SBI से लोन दिलवाया है. यहां तक कि केंद्र सरकार के द्वारा कोयला के क्षेत्र में भी बड़े स्तर पर घोटाला किया गया है. राज्य सरकारों से कहा जा रहा कि 10 परसेंट कोयला विदेश से खरीदें. जबकि भारत में कोयले का उत्पादन 32 फीसदी बड़ा है. इसकी अधिकारिक पुष्टि कोल इंडिया के द्वारा की गई है. इसके बावजूद विदेश से खरीदने के लिए दबाव बनाया जा रहा है. जब 3000 रुपये टन भारत में कोयला मिलता है. उसके बावजूद 30, 000 रुपये टन विदेशों से कोयला क्यों खरीदवा रहे हैं.