दिल्ली में सेकंड हैंड कारों की कीमतें आधी हुईं, कारोबारी संकट में, एनओसी बन रहा बड़ी परेशानी

दिल्ली में पुराने पेट्रोल और डीजल वाहनों पर लगाए गए प्रतिबंधों का सीधा असर सेकंड हैंड कार बाजार पर पड़ा है। इंडस्ट्री संगठन चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) के अनुसार, हाल के दिनों में सेकंड हैंड कारों की कीमतों में 40 से 50 प्रतिशत तक गिरावट दर्ज की गई है। CTI के चेयरमैन बृजेश गोयल का कहना है कि दिल्ली सरकार के नियमों और अदालत के निर्देशों के कारण पुराने वाहनों की बिक्री ठप हो गई है। इससे लगभग 60 लाख वाहन मालिक और कारोबारी प्रभावित हुए हैं।

1 जुलाई से प्रतिबंध टला, लेकिन संकट बरकरार

हालांकि 1 जुलाई से लागू होने वाले प्रतिबंध को फिलहाल टाल दिया गया है, लेकिन वाहन व्यापारियों को इससे स्थायी राहत नहीं मिली है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने पर्यावरण मंत्री की सिफारिश के बाद निर्णय को अस्थायी रूप से रोका है, परंतु ‘एंड ऑफ लाइफ’ (EOL) वाहनों को लेकर कार्रवाई अभी भी जारी है।

सेकंड हैंड कारें आधी कीमत पर भी नहीं बिक रहीं

दिल्ली में नियमों के मुताबिक, 15 साल पुराने पेट्रोल और 10 साल पुराने डीजल वाहन सड़कों पर नहीं चल सकते। इसके चलते बाजार में लग्जरी सेकंड हैंड कारें, जो पहले 6-7 लाख रुपये में बिकती थीं, अब 4-5 लाख में भी खरीददार नहीं मिल रहे। गोयल का कहना है कि कारोबारियों को कारें एक-चौथाई कीमत पर बेचनी पड़ रही हैं।

दूसरे राज्यों में भी घटी मांग

दिल्ली की पुरानी गाड़ियां अक्सर पंजाब, यूपी, राजस्थान, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्यों में ट्रांसफर होती थीं, लेकिन अब अन्य राज्यों के ग्राहक भी कीमतों पर मोलभाव करने लगे हैं क्योंकि उन्हें दिल्ली की पाबंदियों का पता है। करोल बाग, प्रीत विहार, मोती नगर और पीतमपुरा जैसे इलाकों में सेकंड हैंड कार व्यापार से जुड़े हजारों व्यापारी अब नुकसान झेल रहे हैं।

NOC प्रक्रिया बनी मुसीबत

इसके अलावा, दूसरे राज्यों में गाड़ियां स्थानांतरित करने के लिए जरूरी NOC (अनापत्ति प्रमाणपत्र) प्राप्त करने में भी व्यापारियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्रक्रिया पहले की तुलना में अधिक समय लेने लगी है और तकनीकी बाधाएं भी बढ़ गई हैं।

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