हरियाणा विजिलेंस ब्यूरो में 15 दिन के भीतर सीबीआई के चार वरिष्ठ अधिकारियों की एंट्री हो जाएगी। एक अधिकारी की ब्यूरो में प्रतिनियुक्ति की मंजूरी मुख्यमंत्री मनोहर लाल पहले ही दे चुके हैं। तीन अन्य अधिकारियों को लाने की अनुमति गुरुवार को दी गई है। यह अधिकारी सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी होंगे, जो कि एक करोड़ तक के भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई करने में सक्षम होंगे। सरकार का मानना है कि इस कदम से मामलों की जांच प्रभावी ढंग से होगी और भ्रष्टाचार पर करारी चोट करने का मौका मिलेगा।
यह अधिकारी अलग-अलग राज्यों से होंगे। इनके पुराने अनुभव का फायदा विजिलेंस में लिया जाएगा। कई बार विजिलेंस के जांच अधिकारी उस स्तर की जांच नहीं कर पाते, जितनी सीबीआई जांच में सक्षम होती है। सीबीआई के जांच के तौर तरीके भी अलग होते हैं। जबकि विजिलेंस में राज्य पुलिस के अधिकारी ही जाते हैं। उनकी जांच का तरीका राज्य पुलिस की तरह ही होता है।
इसके अलावा सरकार ने डिविजन स्तर पर विजिलेंस ब्यूरो बनाने का भी निर्णय लिया है। यहां आईजी और डीआईजी स्तर के अधिकारी तैनात किए जाएंगे। ऐसे मामलों में कार्रवाई करने के लिए इन्हें स्टेट विजिलेंस ब्यूरो के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी करेगी निगरानी
मुख्यमंत्री ने डीसी और एसपी की बैठक में भी पिछले दिनों भ्रष्टाचार पर चोट करने के लिए कहा है। साथ ही हाई परचेज मॉनिटरिंग कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी में मुख्य सचिव को अध्यक्ष बनाया गया है। साथ ही अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त एवं राजस्व पीके दास, गृह सचिव, डीजीपी और डीजी विजिलेंस को शामिल किया गया है। यह कमेटी निगरानी करेगी कि विजिलेंस जांच तेज हो।सीबीआई के चार अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति पर विजिलेंस ब्यूरो में लाया जा रहा है। शीघ्र ही यह अधिकारी पदभार ग्रहण करेंगे। सरकार भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टालरेंस की नीति के तहत काम कर रही है। - संजीव कौशल, मुख्य सचिव हरियाणा