हरियाणा के सोनीपत जिले के गोहाना शहर के रिहायशी इलाके में किडनी निकालकर बेचने का खेल होता रहा और प्रशासन को भनक तक नहीं लगी। दिल्ली पुलिस के खुलासे के बाद पता लग सका कि अवैध रूप से किडनी प्रत्यारोपण कराने वाला गोहाना में पूरा खेल कर रहा था। जानिए यह रैकेट किस तरह से काम करता था गिरफ्तार और फरार आरोपियों में किसकी क्या जिम्मेदारी थी और पैसों का बंटवारा कैसे होता था...

किडनी रैकेट कॉरपोरेट कल्चर पर काम करता था-
किडनी रैकेट का हर सदस्य गिरोह में कॉरपोरेट कल्चर की तर्ज पर काम करता था। गिरोह में हर किसी का काम अलग-अलग था। जो जैसा काम करता था उसे उसी हिसाब से पैसा दिया जाता था।
शैलेष पटेल, सरबजीत जैलवाल व विपिन(अभी तक फरार)
ये किडनी देने वालों को ढूंढकर लाते थे। ये शेल्टर होम, बस स्टैंड व धार्मिक स्थलों पर रहने वाले गरीब लोगों को लाते थे।
मो.लतिफ
जब पीड़ित किडनी देने के लिए तैयार हो जाता था तो आरोपी मो. लतिफ उन्हें पश्चिम विहार समेत दिल्ली में अलग-अलग जगहों पर रखता था। किडनी देने से पहले होने वाले टेस्ट भी लतिफ कराता था।

बिकास उर्फ विकास
ये पश्चिम विहार में किडनी देने वालों को ठहराता था और उनके खाने-पीने की व्यवस्था करता था।
रणजीत व राजकुमार(फरार)
ये दोनों आरोपी किडनी देने वाले को पश्चिमी विहार व अन्य जगहों से किडनी ट्रांसप्लांट करने वाले गोहाना में स्थित अस्पताल में ले जाते थे।
डॉ. सोनू रोहिल्ला
गोहाना में डॉ. सोनू रोहिल्ला ने अपने अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट का सेटअप लगा रखा था। उसने गिरोह के लोगों को जगह दे रखी थी।
कुलदीप, ओमप्रकाश व मनोज
ये टेक्नीशियन हैं और किडनी ट्रांसप्लांट करते थे। ये ही ऑपरेशन करते थे।
डॉ. सौरभ मित्तल
वह किडनी देने वाले व किडनी लेने वाले को बेहोशी का इंजेक्शन देता था। वह किडनी ट्रांसप्लांट में भी सहायता करता था।

अक्तूबर-नवंबर-2021 में शुरू हुआ था गिरोह
पुलिस अधिकारियों के अनुसार ये किडनी रैकेट अक्तूबर-नवंबर, 21 में शुरू हुआ था। तब से लेकर अब तक ये करीब 20 से ज्यादा लोगों की किडनी निकाल चुके हैं। इस गिरोह के कई सदस्य अभी फरार हैं। पुलिस गिरोह के फरार सदस्यों को पकडने के लिए दिल्ली, हरियाणा, उत्तरप्रदेश व एनसीआर में दबिश दे रही है।

पुलिस ने करीब तीन लोगों को बचाया
पुलिस अधिकारियों के अनुसार पुलिस ने तीन लोगों को बचाया है। पुलिस गिरोह के चुंगल से तीन लोगों को निकाला है, ये इन लोगों की किडनी निकालने वाले थे। इन लोगों को टेस्ट आदि हो चुके हैं। पुलिस अधिकारियों के अनुसार पुलिस को एक ऐसा पीड़ित मिला है जिसकी आरोपियों ने किडनी निकाल ली थी। पीड़ित गुजरात, असम, पश्चिमी बंगाल और केरल के रहने वाले हैं।
पहले गिरोह से अलग होकर दूसरा किडनी रैकेट शुरू किया
कुलदीप राय इस गिरोह को सरगना है। वह किडनी देने वालो व लेने वालों से बात करता था। वहीं ये तय करता था कि किडनी देने वाले को किडनी पैसे देने हैं और किडनी लेने वालों से कितने पैसे लेने है। आरोपी ने पूछताछ में बताया कि पहले वह एक किडनी रैकेट का हिस्सा था। मनमुटाव होने पर वह इस गिरोह से अलग हो गया और फिर इसने अपना किडनी रैकेट शुरू किया। आरोपी ने अक्तूबर-नवंबर, 2021 में अपना गिरोह शुरू किया था।