हरियाणा के जींद जिले के घसो खुर्द गांव का नाम 2005 में माओवादियों के संपर्क के साथ जोड़ा गया था। उस समय भी यह गांव पूरे देश में सुर्खियों में आ गया था। अब इस गांव की नीलम ने बुधवार को संसद भवन के बाहर कलर स्मॉग फैलाकर गांव को सुर्खियों में ला दिया।
21 सितंबर 2005 को क्रांतिकारी मजदूर किसान यूनियन (केएमकेयू) और जागरूक छात्र मोर्चा (जेसीएम) ने कथित तौर पर सीपीआई के गठन की पहली वर्षगांठ मनाने के लिए घसो कलां में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम और एक मशाल जुलूस का आयोजन किया था। कार्यक्रम में आसपास के गांवों के लोग भी शामिल हुए थे। सांस्कृतिक उत्सव समाप्त होने के बाद गांव से मशाल जुलूस शुरू हुआ।
जुलूस बगल के गांव घसो खुर्द पहुंचने तक सब कुछ शांतिपूर्ण था। अचानक इस जुलूस का कुछ लोगों ने विरोध कर दिया। हंगामा इतना बढ़ गया कि यहां गोलियां चल गईं। घसो खुर्द गांव की दीवार पर माओवादी समर्थन में स्लोगन लिखे गए थे। इसमें एक गोली गांव के रणधीर सिंह उर्फ धीरा को लगी थी। इसमें 10 लोग घायल हो गए थे।
इस मसाल जुलूस में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से भी काफी छात्र आए हुए थे। गांव के ही 11 लोगों पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज हुआ था। एक मामला सदर थाना नरवाना में और एक मामला उचाना थाने में दर्ज हुआ था।
कई एजेंसियों ने डाला था गांव में डेरा
जिस समय घसो खुर्द गांव में यह विवाद हुआ, उस समय हिसार आर्मी कैंट के मिलिट्री इंटेलिजेंस के कर्नल स्तर के अधिकारी भी माओवादियों से आर्मी कैंट को किसी तरह के खतरे की जानकारी जुटाने के लिए कई दिन तक जींद में डेरा डाले रहे थे। इसके अलावा सभी जांच एजेंसियों ने कई दिन गांव में चक्कर काटे थे और जानकारी जुटाई थी। इसके बाद यह मामला शांत रहा था।