पेरिस ओलंपिक में रविवार को भारतीय हॉकी टीम ने कांस्य पदक के लिए हुए मैच में स्पेन को हराकर पदक अपने नाम कर लिया है। भारतीय टीम में शामिल हरियाणा के हिसार के गांव डाबड़ा के संजय कालीरावणा का भी भारत के यहां तक पहुंचने में अहम योगदान रहा है। भारत की जीत पर संजय के गांव व परिवार के सदस्यों ने जश्न मनाया है। गांव में लोग खुशी से झूम उठे।

हरियाणा के हिसार के डाबड़ा गांव के संजय कालीरावणा ने सात साल की उम्र में हॉकी थामी। आर्थिक तंगी के कारण वह हॉकी नहीं खरीद सका। एक माह तक अपने सीनियर्स की हॉकी लेकर प्रैक्टिस की। इसके बाद कोच राजेंद्र सिहाग ने हॉकी दिलाई तो संजय ने हॉकी में आज नाम चमका दिया।

संजय के पदक जीतने पर गांव में खुशी का माहौल है। वर्ष 2008 में जब संजय के चाचा के बेटे ने हॉकी का प्रशिक्षण लेना शुरू किया तो वह भी उसके साथ दो-तीन दिन गया। मैदान में खिलाड़ियों के हाथ में हॉकी देख उसने हॉकी सीखने की ठानी। आर्थिक तंगी के कारण जब वह हॉकी नहीं खरीद सका तो कोच ने उसके सपने को पंख लगाए और हॉकी खरीदकर दी।

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माता-पिता के साथ कोच की रही अहम भूमिका
संजय की दो बहनें हैं। पिता नेकीराम किसान हैं जबकि माता कौशिल्या गृहिणी हैं। संजय को यहां तक पहुंचाने के लिए परिवार के साथ-साथ कोच राजेंद्र सिहाग का अहम सहयोग रहा। इन्हीं की बदौलत संजय आज इस मुकाम पर पहुंचा है। संजय ने एशिनय गेम्स में भी पदक जीता था। संजय ने वर्ष 2021 में जूनियर वर्ल्ड कप खेला। इसी प्रकार 2018 में यूथ ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता था।

छोटी सी उम्र में संजय ने हॉकी की शुरुआत की। चार साल तक गांव डाबड़ा में हॉकी खेली। इसके बाद चंडीगढ़ चले गए। खास बात है कि संजय ने पहली बार एशियन गेम्स खेला और गोल्ड मेडल जीत लिया। वहीं अब ओलंपिक में देश को ब्रांज दिलाने में अहम योगदान रहा।