भ्रष्टाचार के मामले में जांच के दौरान जांच एजेंसी को आवाज के नमूने लेने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि इससे सांविधानिक अधिकारों का हनन नहीं होता है।
याचिका दाखिल करते हुए अमृतसर निवासी रवि प्रकाश शर्मा ने हाईकोर्ट को बताया कि उस पर भ्रष्टाचार मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी। इस मामले में जांच एजेंसी ने याची की आवाज का नमूना लेने की मजिस्ट्रेट से अनुमति मांगी थी, जिसे मंजूर कर लिया गया। याची ने कहा कि ऐसा करना सीधे तौर पर निजता के अधिकार का हनन है। इसके साथी ही संविधान के अनुच्छेद 20(3) के खिलाफ है, जिसके अनुसार किसी व्यक्ति को खुद के खिलाफ गवाह बनने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
हाईकोर्ट ने कहा कि जहां तक निजता के अधिकार के हनन की बात है तो आवाज का नमूना अंगुलियों के निशान व लिखाई की तरह अनोखा होता है। दूसरी ओर आवाज का नमूना अपने आप में सबूत नहीं होता है, यह तो एकत्रित किए गए सुबूतों से तुलना के लिए होता है। प्रौद्योगिकी की प्रगति के साथ ही संचार के तरीके बदल रहे हैं। परिवर्तन के साथ तालमेल बैठाने के लिए साक्ष्य एकत्र करने और तुलना के लिए नई तकनीक का उपयोग आवश्यक हो गया है। ऐसे में इन टिप्पणियों के साथ ही हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।