भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि सरकार कान खोल कर सुन ले, चार लाख ट्रैक्टर दिल्ली गए थे। वे अफगानिस्तान के नहीं थे, सारे हिंदुस्तान के ही थे। अगर जरूरत पड़ी तो किसान फिर दिल्ली जाएंगे। टिकैत रविवार को आईएमटी चौक के पास किसान आंदोलन के समर्थन में चल रहे महिलाओं के पिंक धरने को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि आंदोलन ने सरकार को घुटने पर टिका रखा है। सरकार को न तो चार लाख ट्रैक्टर भूलने देंगे, न 26 जनवरी की तारीख। अब 25 लाख ट्रैक्टर आएंगे। जरूरत पड़ी तो अपने शहरों को ही दिल्ली बनाएंगे। जब किसान अपनी राजधानी घेर सकता है तो अपने शहरों को भी घेरेंगे। सरकार बात मान ले, वरना यहां से भागना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि महिलाओं का यह पिंक धरना ऐतिहासिक है, यह हरियाणा में ही हो सकता है। सरकारों को समझना चाहिए कि यह वैचारिक क्रांति है, दुनिया में कहीं भी वैचारिक क्रांति हुई तो परिवर्तन आया है। उन्होंने कहा कि यूपी में चुनाव आने वाले हैं, सबकी निगाहें हैं। बैठकें होंगी, संयुक्त किसान मोर्चा फैसला लेगा, पूरे देश के किसान उस पर काम करेंगे। तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में ऐसा ही हुआ था। टिकैत साब (महेंद्र सिंह टिकैत) हमेशा कहते थे कि पूरा हरियाणा आंदोलन से जुड़ जाए तो किसानों की समस्या खत्म हो जाएगी। अब पूरा हरियाणा और पंजाब साथ है। इस मौके पर भाकियू (अंबावता) के प्रदेशाध्यक्ष अनिल नांदल, रामफल काला, सोनिया मान और अभिमन्यु कोहाड़ भी मौजूद रहे।
टिकैत ने कहा कि भाजपा गलतफहमी में है कि यह उसकी सरकार है। वोट मांगते समय कहा कि अबकी बार, मोदी सरकार। लेकिन भाजपा यह नहीं समझ रही है कि यह उनकी नहीं मोदी सरकार है। उन्होंने कब्जा कर लिया है, इनके बड़े नेताओं को घर बिठा रखा है, जिन्होंने पार्टी बनाई वह घरों में कैद हैं, कोई बयान भी नहीं देता। इन्होंने पूरे देश और सिस्टम पर कब्जा कर लिया है, अघोषित इमरजेंसी लगी हुई है। आधा देश बिक चुका है, आधा तीन साल में बिक जाएगा। देश की जनता को अब खड़ा होना चाहिए। यूपी के जिला परिषद चुनाव में नंगा नाच हुआ। अब जो कहीं से भी जीता हो, उसे भाजपा में शामिल करवा रहे हैं।
राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार ऐसे कानून ला रही है कि कुछ साल बाद पशु बचेंगे ही नहीं। दो पशु रखने पर बिजली का कॉमर्शियल कनेक्शन लेना होगा। बड़ी साजिश रची जा रही है। बाहर की इंडस्ट्री आएगी तो सस्ती लेबर गांव की चाहिए। उसके लिए फसलों की खरीद बंद करेंगे, लोग मजबूरी में शहर जाएंगे। जमीन कीटनाशक डाल कर बर्बाद कर देंगे, खाने के सामान विदेश से आएगा। शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे कई मसले हैं। लोगों को चाहिए कि जब ये वोट मांगने आएं तो उनसे यह जरूर पूछें कि जब हमारे अपने कोरोना से मर रहे थे, तब तुम कहां थे।
मीडिया से बातचीत में राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार बात करने को तैयार ही नहीं है तो किससे बात करें। अगर किसी पार्टी की सरकार हो तो बात करे भी। ये कहते हैं कि कृषि कानून वापस नहीं लेंगे पर बात करने को तैयार हैं। इनका यह हाल है कि भैंस मेरी जोहड़ में जाएगी, पंचायत का फैसला सिर-माथे। इनकी सरकार कंपनी चला रही है, इसलिए बात नहीं करेंगे। एक सवाल पर उन्होंने कहा कि आंदोलन कृषि कानूनों के लिए चल रहा है। सरकार मान नहीं रही पर अगर वह कहीं चुनाव लड़ेगी तो हलवा तो खिलाएंगे नहीं, अपनी बात तो रखेंगे। जनता इनके इंतजार में बैठी है। उन्होंने बताया कि पेट्रोल, डीजल की कीमतों के खिलाफ एक दिन देशव्यापी प्रदर्शन होगा।