हिमाचल प्रदेश को सोमवार को “पूर्ण साक्षर राज्य” घोषित कर दिया गया है। इसके पहले केवल त्रिपुरा, मिजोरम, गोवा और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को ही यह दर्जा प्राप्त था। यह राज्य के शिक्षा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जा रही है। प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस उपलब्धि की घोषणा की।

मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि राज्य की साक्षरता दर अब 99.30 प्रतिशत तक पहुँच गई है, जो राष्ट्रीय मानक 95 प्रतिशत से कहीं अधिक है। उन्होंने बताया कि राज्य ने न्यूनतम साक्षरता दर लगभग 7 प्रतिशत से पूर्ण साक्षर राज्य बनने तक का सफर तय किया है। राज्य ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के उद्देश्य से लगातार प्रयास किए हैं।

सीएम ने बताया कि हिमाचल प्रदेश छात्र-शिक्षक अनुपात में देश में पहले स्थान पर है। यह उपलब्धि केंद्र सरकार की ‘उल्लास’ योजना के तहत हासिल की गई है। इस योजना के अनुसार कोई राज्य तब “पूर्ण साक्षर” कहा जाता है जब उसकी 15 वर्ष से अधिक आयु की 95 प्रतिशत से अधिक आबादी पढ़-लिख और बुनियादी गणना कर सके।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लद्दाख, मिजोरम, गोवा, त्रिपुरा और हिमाचल प्रदेश को पूर्ण साक्षरता हासिल करने पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि सरकार, समाज और स्वयंसेवकों के सामूहिक प्रयास का परिणाम है। उन्होंने उल्लास-नव भारत साक्षरता कार्यक्रम की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। इस कार्यक्रम में अब तक 3 करोड़ से अधिक शिक्षार्थी और 42 लाख स्वयंसेवक शामिल हैं। लगभग 1.83 करोड़ शिक्षार्थियों ने बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक मूल्यांकन पास किया है, जिसमें सफलता दर 90 प्रतिशत रही। कार्यक्रम की सामग्री अब 26 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है, जिससे साक्षरता सभी के लिए समावेशी बन रही है।