पहलगाम हमले के बाद कश्मीर में बड़ा एक्शन, 1500 लोग हिरासत में

पहलगाम हमले के बाद जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियों ने बड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है. सूत्रों के मुताबिक पूरे कश्मीर घाटी में 1500 से अधिक लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है. ये लोग अलग-अलग जिलों और संवेदनशील इलाकों से पकड़े गए हैं. इनमें ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs), पूर्व उग्रवादी, और वे लोग शामिल हैं जिन पर पहले से एफआईआर दर्ज है या जिनका नाम खुफिया निगरानी लिस्ट में है. जांच एजेंसियां हमलावरों को पनाह देने वालों का पता लगाने में जुटी हैं. पूरे इलाके में तलाशी अभियान तेज कर दिया गया है.

माना जा रहा है इस बड़े पैमाने पर छापेमारी और गिरफ्तारी अभियान का उद्देश्य हमले के पीछे के नेटवर्क और स्लीपर सेल्स का पता लगाना है. इन सभी लोगों से फिलहाल कड़ी पूछताछ की जा रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि हमलावरों को किसने पनाह दी, मदद की या हथियार मुहैया कराए. खुफिया एजेंसियों के इनपुट को मिलाकर हर संदिग्ध के कनेक्शन को खंगाला जा रहा है.

चप्पे-चप्पे पर सेना की निगरानी

इस हमले के बाद जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा को लेकर नए दिशा-निर्देश तैयार किए जा रहे हैं. संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त सुरक्षाबल तैनात किए जा रहे हैं और धार्मिक, राजनीतिक व सार्वजनिक आयोजनों पर खास नजर रखी जा रही है. केंद्र सरकार ने साफ किया है कि आतंक के खिलाफ यह लड़ाई अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है और किसी भी साजिश को सफल नहीं होने दिया जाएगा.

सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की बैठक जारी है, जिसमें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह समेत अन्य वरिष्ठ मंत्री शामिल हैं. बैठक में पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया पर चर्चा हो रही है.

सूत्रों के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सुरक्षा समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि केंद्र सरकार नागरिकों की हत्या का बदला लेने के लिए प्रतिबद्ध है और आतंकवाद के नेटवर्क को जड़ से खत्म करने के निर्देश दिए गए हैं.

TRF ने ली हमले की जिम्मेदारी

TRF के आतंकी लगातार पाकिस्तान से ट्रेनिंग और फंडिंग लेने के आरोपों में घिरे रहे हैं. यह कोई पहली बार नहीं है जब TRF ने घाटी में खून खराबा मचाया हो. पहले भी इस संगठन पर कई बड़े आतंकी हमलों को अंजाम दिए है. TRF लश्कर-ए-तैयबा का एक नया चेहरा माना जाता है, जिसे पाकिस्तान द्वारा अंतरराष्ट्रीय दबाव से बचने के लिए ‘स्थानीय कश्मीरी आंदोलन’ का रूप दिया गया है.

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