सीआरपीएफ में एक ऐसा आदेश जारी हुआ है, जो ग्राउंड कमांडर यानी सहायक कमांडेंट (एसी) और डिप्टी कमांडेंट (डीसी) के गले नहीं उतर रहा है। देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल में अधिकांश ऑपरेशनों की कमान ‘एसी’ संभालता है। कई जगहों पर डीसी या टूआईसी भी ऑपरेशन के दौरान साथ रहते हैं। ये अधिकारी ऑपरेशन को भी लीड करते हैं। आदेश में कहा गया है कि अब पार्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप (पीडीजी) में सीआरपीएफ के युवा अफसर तैनात रहेंगे, जबकि आतंकी व माओवादी जोन में ग्राउंड कमांडरों की आयु सीमा बढ़ा दी गई है। हैरानी की बात तो ये है कि कोबरा जैसी विशेष प्रशिक्षित इकाई, जिसमें तैनात जवान और अधिकारी जंगल वॉरफेयर के एक्सपर्ट होते हैं, उनकी आयु सीमा भी पीडीजी के मुकाबले अधिक कर दी गई है। सीआरपीएफ के पूर्व एडीजी एसएस संधू ने कहा कि कोबरा, आतंकी, माओवादी इलाके व स्पेशल ऑपरेशन जोन (एसओजेड) की जोखिम भरी परिस्थितियों में विशेषकर, युवा अफसरों की जरूरत होती है।
कोबरा में एसी की आयु सीमा 40 तो पीडीजी व एसडीजी में 38 साल
कमांडो बटालियन फॉर रेजोल्यूट एक्शन (कोबरा) उग्रवादियों एवं विद्रोहियों से निपटने के लिए गुरिल्ला व जंगल युद्ध जैसे ऑपरेशनों में दृढ़तापूर्वक कार्रवाई के लिए गठित एक विशेष बल है। ‘जंगल के योद्धा’ के रूप में प्रसिद्ध इन विशेष जवानों का चयन सीआरपीएफ के जवानों में से किया जाता है। सीआरपीएफ आदेश के मुताबिक, कोबरा के ‘स्पेशल ऑपरेशन जोन’ में ‘डीसी’ लगने के लिए संबंधित अधिकारी की आयु 43 साल से कम होनी चाहिए। नॉन एसओजेड कोबरा यूनिट में यह आयु सीमा 45 साल तय की गई है। सहायक कमांडेंट के लिए यह आयु सीमा 40 वर्ष रखी गई है। अन्य योग्यताओं में संबंधित अधिकारी को पिछले पांच साल में सामान्य या गंभीर सजा नहीं मिली हो। विजिलेंस जांच क्लीयर हो। यदि कोई अधिकारी खुद से कोबरा में आने की इच्छा जाहिर करता है तो उसे मूल्यांकन प्रक्रिया का हिस्सा न मानें।
एसओजेड में तैनात होंगे 47 वर्षीय डीसी
‘स्पेशल ऑपरेशन जोन’ में डिप्टी कमांडेंट लगना है तो उसके लिए आयु सीमा 47 साल तय की गई है। यह आदेश ‘एसओजेड कोर यूनिट’ की तैनाती के लिए है। यदि डीसी को ‘नो कोर एसओजेड यूनिट’ में लगना है तो उसकी आयु 50 वर्ष से नीचे हो। यहां पर ‘एसी’ के लिए आयु सीमा 45 वर्ष रखी गई है। पीडीजी व एसडीजी के लिए डीसी की आयु 40 साल से नीचे रहे। इन दोनों सेवाओं में सहायक कमांडेंट की तैनाती के लिए आयु सीमा अलग-अलग रखी गई है। अगर ‘एसी’ को एसडीजी में लगना है तो उसकी आयु 40 साल और पीडीजी में तैनाती लेनी है तो उसके लिए आयु, 38 वर्ष से कम होनी चाहिए। पिछले पांच साल में डीसी/एसी की एपीएआर में ‘गुड’ मिलना जरुरी है। तीन साल में कोई भी सामान्य दंड न मिला हो और दस साल में बड़ी सजा न मिली हो। पांच साल का फील्ड अनुभव होना आवश्यक है।
इंटेलिजेंस इकाई में ‘डीसी’ के लिए कोई आयु सीमा तय नहीं
सीआरपीएफ की इंटेलिजेंस इकाई में डीसी के चयन के लिए आयु सीमा निर्धारित नहीं की गई है। बशर्ते उस अधिकारी ने पांच साल तक इस क्षेत्र में काम किया हो। इंटेल के अलावा संबंधित अधिकारी को जांच कार्य में भी निपुण होना चाहिए। वह अधिकारी ग्रेजुएट हो। अगले पांच साल में रिटायर न होता हो। पदोन्नति के जोन में नहीं होना चाहिए। एडब्लूएस/सीडब्लूएस में डीसी और एसी की तैनाती के लिए आयु सीमा तय नहीं की गई है। ट्रेनिंग संस्थान में लगने के लिए डीसी/एसी की कोई आयु सीमा निर्धारित नहीं की गई है। विजिलेंस क्लीयरेंस होनी चाहिए। अधिकारी में सीखने की ललक हो। कम्युनिकेशन में तैनाती के लिए आयु सीमा तय नहीं की गई है। वीआईपी सिक्योरिटी में तैनाती के लिए एसी/डीसी की कोई आयु सीमा निर्धारित नहीं है। बल के पूर्व एडीजी एसएस संधू कहते हैं, कठिन ड्यूटी क्षेत्र में तैनाती के लिए डीसी/एसी की आयु कम होनी चाहिए। कई स्थानों पर उन्हें 25 किलामीटर दूर तक, वो भी 30 किलो वजन के साथ चलना पड़ता है। हर कदम पर जोखिम रहता है। आतंक और नक्सल प्रभावित इलाकों में हर पल हमले का खतरा बना रहता है। आईईडी, ड्रोन अटैक, ग्रेनेड फेंकना और टीम पर घात लगाकर हमला करना, आदि जोखिम बने रहते हैं। ऐसे में वहां तैनाती के लिए डीसी/एसी की आयु सीमा बढ़ाना बिल्कुल गलत है। ऐसे इलाक़ों में कम आयु के अधिकारी बेहतर कार्य कर सकते हैं।