सांसद एवं नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने सोमवार को जम्मू में सरकार पर निशाना साधते हुए हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जी20 की बैठकें लद्दाख और कश्मीर में निर्धारित की गईं, लेकिन जम्मू में नहीं की गईं। उन्होंने इस मुद्दे को उजागर नहीं करने को लेकर भाजपा नेताओं की आलोचना की। फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू में गैर-स्थानीय लोगों के बसने का भी विरोध किया और दावा किया कि डोगरा की पहचान खतरे में है।
उन्होंने कहा, 'यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जी20 की बैठक लद्दाख और कश्मीर में हो सकती है, लेकिन जम्मू में नहीं। क्या जम्मू महत्वपूर्ण नहीं है? यह दुखद है कि भाजपा का एक भी नेता नहीं, यहां तक कि 'जम्मू, जम्मू, जम्मू और डोगरा, डोगरा, डोगरा' के नारे लगाने वाले भी नहीं। उन्होंने ( भाजपा सरकार) जम्मू को हल्के में लिया है, यह मानते हुए कि यह उनकी जेब में है।'
यहां प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) मिशन के तहत 336 फ्लैटों के आवंटन के लिए अस्थायी या स्थायी रूप से जम्मू में प्रवास करने वाले लोगों से ऑनलाइन आवेदन मांगने वाले जम्मू-कश्मीर हाउसिंग बोर्ड द्वारा जारी सार्वजनिक नोटिस के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "यह दिखाता है कि हम हर समय क्या कहते रहे हैं कि जनसांख्यिकीय परिवर्तन लाया जा रहा है।"
फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू अपनी डोगार पहचान खोने जा रहा है। अंतिम डोगरा शासक महाराजा हरि सिंह ने 1927 में नौकरी और भूमि संरक्षण के लिए कानून बनाए। जम्मू की संस्कृतिक संस्कृति और पहचान बरकरार रहने के लिए ऐसा किया गया, लेकिन आज इसके विपरीत हो रहा है।