जम्मू-कश्मीर: स्वास्थ्य क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन

पिछले कुछ सालों से स्वास्थ्य के विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्रीय स्तर की तुलना में जम्मू-कश्मीर के प्रदर्शन में सुधार हुआ है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के अनुसार जम्मू-कश्मीर में नवजात मृत्यु दर में बड़ा सुधार आया है। प्रदेश में मृत्युदार 9.8 है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह दर 24.9 है।

इसी तरह शिशु मृत्युदर में जेएंडके की दर 16.3 और राष्ट्रीय दर 35.2 है। इसमें एक हजार बच्चों पर साल में बच्चों का मृत्युदर ली जाती है। मृत्युदर में भी राष्ट्रीय स्तर की तुलना में जम्मू-कश्मीर में आधे से भी कम है। प्रदेश में यह दर 18.5 और राष्ट्रीय स्तर पर 41.9 है। इसमें पांच साल तक एक हजार बच्चों की मृत्युदर ली जाती है।

बच्चों में एनीमिया में जम्मू कश्मीर में राष्ट्रीय स्तर की तुलना में दर अधिक है। प्रदेश में यह दर 72.7 और राष्ट्रीय स्तर पर यह 67.1 है। गर्भवती महिलाओं में एनीमिया का दर 44.1 और राष्ट्रीय स्तर पर यह 52.2 है। बच्चों में कम वजन पर जम्मू-कश्मीर में 21 और राष्ट्रीय स्तर पर दर 29.7 है। अनन्य स्तनपान में जम्मू-कश्मीर में दर 62 और राष्ट्रीय स्तर पर 63.7 है। स्टंटिंग में जम्मू कश्मीर में दर 26.9 और राष्ट्रीय स्तर पर 31.0 है।

जीवनशैली में बदलाव से जम्मू-कश्मीर में बढ़ रहा गैर संचारी रोगों का दायरा

संक्रमित रोगों की बजाय जम्मू-कश्मीर के लोग तेजी से गैर संचारी रोगों की चपेट में आ रहे हैं। जीवनशैली में बदलाव के कारण ये रोग शहरों के साथ गांवों में पैर पसार चुके हैं। लोग पारंपरिक दिनचर्या को भूलकर मधुमेह, उच्च रक्तचाप, थायराइड, कैंसर, श्वास, हृदय, जोड़ों जैसे गैर संचारी रोगों से पीड़ित हो रहे हैं। इन रोगों से युवा भी तेजी से ग्रस्त हो रहे हैं।

राष्ट्रीय स्तर के 25 प्रतिशत की तुलना में उच्च रक्तचाप की दर जम्मू कश्मीर में दर भले ही 20 प्रतिशत है, लेकिन यह दायरा धीरे-धीरे बढ़ रहा है। इसी तरह मधुमेह में जम्मू-कश्मीर का प्रतिशत 8.7 और राष्ट्रीय स्तर का 8 प्रतिशत है। रक्तचाप और मधुमेह में प्रति सौ लोगों पर यह प्रतिशत लिया गया है।

जम्मू-कश्मीर में गैर संचारी रोगों के लिए जारी स्क्रीनिंग में कई तथ्य सामने आए हैं। इनसे पता चला है कि प्रदेश की एक बड़ी आबादी को पता ही नहीं है कि वे गैर संचारी रोगों (एनसीडी) से ग्रस्त हैं। चिकित्सा केंद्रों पर पहुंच रहे ऐसे लोगों में उच्च रक्तचाप और मधुमेह की शिकायत अधिक मिल रही है। ऐसे लोग किसी दूसरी बीमारी की जांच के लिए आते हैं, लेकिन उनमें उच्च रक्तचाप और मधुमेह की समस्या मिल रही है। चिंता यह है कि एनसीडी स्क्रीनिंग में 30 से 40 आयु वर्ग के लोग भी बड़ी संख्या में गैर संचारी रोगों से पीड़ित मिल रहे हैं। उच्च रक्तचाप में दिमाग की नसों पर अधिक दबाव पड़ने से लकवा मार सकता है। खून के प्रवाह का दबाव बढ़ने से हार्ट अटैक की आशंका रहती है। सामान्य रूप से मानव शरीर में 120/80 एमएम एचजी (गोल्डन स्टेंर्ड्ड मिलीमीटर इन मर्करी) रक्तचाप का प्रेशर होना चाहिए।

जीवनशैली बदल कर रोगों से करें बचाव

जीवनशैली में बदलाव लाकर उच्च रक्तचाप, मधुमेह सहित अन्य गैर संचारी रोगों से बचाव किया जा सकता है। खासतौर पर पहले से बीमार और शारीरिक रूप से कमजोर लोगों को अधिक एहतियात बरतने की जरूरत है।
– डॉक्टर प्रवीण योगराज, चिकित्सा अधीक्षक, गांधीनगर अस्पताल।

ये हैं मधुमेह के लक्षण

– थकावट की शिकायत रहना, बार-बार पेशाब आना
– मुंह सूखना, बार-बार प्यास लगना
– नियमित खाना खाने पर सेहत न बनना
– वजन लगातार गिरना और घाव जल्द न भरना

ये हैं उच्च रक्तचाप के लक्षण

– चलते या बैठते समय अचानक चक्कर आना
– अचानक आंखों के सामने अंधेरा छाना
– सिर पर भारीपन का अहसास होना
– सीने पर हल्का भारीपन रहना
– उल्टी का मन होना

ऐसे करें बचाव

– जीवन शैली में योग और व्यायाम को अपनाएं, तनाव को खुद से दूर रखें
– रोजाना कम से कम 3 से 5 किमी. पैदल चलने की आदत डालें
– संतुलित आहार लें, फास्ट फूड और जंक फूड का सेवन न करें

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