आज हॉकी जादूगर मेजर ध्यानचंद की 117वीं जयंती है। हर साल 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने हॉकी के महानायक मेजर ध्यानचंद को उनकी जयंती को याद किया।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सोशल मीडिया पर लिखा, ' हॉकी के महानायक मेजर ध्यानचंद को नमन। सभी खिलाड़ियों और खेल प्रेमियों को राष्ट्रीय खेल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। आइए खेलों को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाएं। अपने उत्कृष्ट खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन करते रहें।'

हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद के महानता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब वह हॉकी खेलते थे तो मानो ऐसा लगता था कि गेंद उनकी स्टिक से चिपक जाती थी। ध्यानचंद की उपलब्धियों ने अंग्रेजों की हुकूमत के दौरान भी भारतीय खेल के इतिहास को नए शिखर पर पहुंचाया था।
29 अगस्त, 1905 को प्रयागराज ( तब के इलाहाबाद) में जन्में मेजर ध्यानचंद का हॉकी खेल में पूरी दुनिया में कोई सानी नहीं था। उन्होंने करीब 22 साल तक भारत के लिए हॉकी खेला और इस दौरान 400 से अधिक इंटरनेशनल गोल दागे। उन्होंने लगातार तीन ओलंपिक (1928 में एम्सटर्डम, 1932 में लॉस एंजेलिस और 1936 में बर्लिन) में भारत को हॉकी खेल में अपने दम पर स्वर्ण पदक दिलाया था।
मेजर ध्यानचंद के पिता सेना में थे और उसके लिए हॉकी खेलते थे। महज 16 वर्ष की उम्र में ध्यानचंद ने भी आर्मी जॉइन कर ली थी। इसी दौरान उन्हें भी मानो जैसे हॉकी से प्रेम ही हो गया था। ध्यानचंद को दुनिया में लगभग 55 देशों के 400 से अधिक पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। इन्हीं उपलब्धियों के कारण उनके जन्मदिन को देश में खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है।