लंबित मांगें पूरी नहीं होने पर जलशक्ति विभाग के सैकड़ों अस्थायी कर्मचारी फिर से सड़कों पर उतर आए। बीसी रोड स्थित मुख्य अभियंता कार्यालय से महारैली निकाल राजभवन का घेराव करने का प्रयास किया, जिसे पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने विफल कर दिया।
वहीं, सिद्दड़ा स्थित सीतली प्लांट को सुबह 11 बजे से लेकर दोपहर बाद तीन बजे तक बंद कर रोष जताया। सीतली प्लांट से ही शहर में मुख्य रूप से पानी की सप्लाई होती है। जलशक्ति विभाग के अस्थायी कर्मियों के समर्थन में सिंचाई विभाग के अस्थायी कर्मियों ने भी कनाल रोड स्थित चीफ इंजीनियर कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया।
जलशक्ति विभाग के अस्थायी कर्मियों ने कहा कि 30 सालों से झूठे आश्वासन देकर इस्तेमाल किया जा रहा है। किसी भी सरकार, राज्यपाल और उप राज्यपाल शासन ने सुध नहीं ली है। लेकिन इस बार कर्मचारी हक के लिए आरपार की लड़ाई लड़ेंगे।
जलशक्ति इंप्लाइज फ्रंट के प्रवक्ता के रवि हंस ने कहा कि मौजूदा समय में कर्मियों को छह से सात हजार रुपये प्रतिमाह मेहनताना दिया जा रहा है, जो महंगाई के दौर में नाकाफी है। एलजी प्रशासन की ओर से मांगों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
धारा 144 लगा कर आवाज दबाने का प्रयास
जिला प्रशासन ने तवी पुलों और इसके आसपास के इलाकों में धारा 144 लागू करने से जलशक्ति विभाग के अस्थायी कर्मियों में रोष है। उन्होंने एलजी प्रशासन पर आंदोलन को दबाने का प्रयास करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि वह किसी दबाव में नहीं आएंगे। मांगें जायज हैं और लोकतंत्र में जायज मांगों को उठाने से कोई नहीं रोक सकता है।
ये हैं अस्थायी कर्मियों की मांगें
1. समय अवधि पूरी कर चुके अस्थायी कर्मियों को नियमित करना
2. न्यूनतम वेतन प्रतिदिन 618 रुपये तय करना
3. 90 माह का लंबित वेतन जारी करना