शोपियां में कश्मीरी पंडित पूरण कृष्ण भट्ट की आतंकियों द्वारा गोली मारकर हत्या करने को लेकर प्रदेशभर में उबाल है। सोमवार को श्रीनगर में बड़ी संख्या में आम लोग ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के कार्यालय के बाहर एकत्रित हुए। इस दौरान उन्होंने आतंकवाद के विरोध में नारे लगाए। गुस्साए लोगों ने पहले पार्टी के बोर्ड पर सफेद रंग पोता। फिर कुछ प्रदर्शनकारियों ने बोर्ड को उखाड़ फेंका। साथ ही लोगों ने कार्यालय के पर 'इंडिया' भी लिखा।

इसे लेकर एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि घाटी में आए दिन निर्दोष लोगों का खून बह रहा है। आखिर कब तक लोग चुप रहें। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि पूरण भट्ट कश्मीर के परिवार का हिस्सा नहीं है? हुर्रियत पार्टी के नेताओं के बच्चे तो विदेशों में पढ़ रहे हैं, लेकिन आम कश्मीरियों के बच्चे आए दिन मर रहे हैं। टारगेट किलिंग का मामला सुरक्षा में चूक का मामला भी है, लेकिन क्या हुर्रियत नेताओं को इसके खिलाफ बोलना नहीं चाहिए। वो क्यों चुप बैठें हैं। क्या हुर्रियत की सोच रखने वाले इसके लिए जिम्मेदार नहीं है?

Srinagar

प्रदर्शनकारियों में शामिल एक महिला ने कहा कि उन लोगों ने प्रदर्शन करने के लिए यह जगह इसलिए चुनी है कि यह लोग भी जाग जाएं। घाटी में आम लोगों के घर उजड़ रहे हैं। हुर्रियत नेताओं के घरों में तो ऐसा कुछ नहीं हो रहा है। अगर उनके घर में भी ऐसा कुछ हो तो शायद उन्हें लोगों का दर्द समझ आए। तब उन्हें समझ आएगा कि गोली का दर्द कैसा होता है।

महिला ने कहा कि जो कश्मीर पंडित मारा गया वो उनके भाई जैसा ही था। वो भी तो एक इंसान था। उसे क्यों मारा गया। उसके परिवार पर इस वक्त क्या बीत रही है। यह तो वो ही जानते हैं। हम यह चाहते हैं कि खून खराबा बंद होना चाहिए।

Kupwara

इससे पहले रविवार की रात उत्तरी, मध्य व दक्षिण कश्मीर में कैंडल मार्च निकाला गया। इस दौरान निर्दोषों की हत्या बंद करो, आतंकवाद मुक्त कश्मीर के नारे लगाए गए। दक्षिण कश्मीर के शोपियां में शहर में कैंडिल मार्च निकालकर पीड़ित परिवार के साथ एकता प्रदर्शित की गई। उत्तरी कश्मीर के बांदीपोरा के सुंबल, गुरेज व बांदीपोरा में मार्च निकालकर निर्दोष नागरिकों की हत्या बंद करने की मांग की गई। कुपवाड़ा में फाउंटेन प्वाइंट दर्जीपोरा से डीसी कार्यालय तक लोगों ने कैंडल मार्च निकाला। इसी प्रकार इंदिरा नगर शिवमंदिर से दास पार्क बटवारा तक मार्च निकाला गया। इसमें पीएम पैकेज के कर्मचारी, कश्मीरी पंडित समुदाय तथा नागरिक समाज के लोग शामिल हुए।