जम्मू विश्वविद्यालय के छात्रों ने विश्वविद्यालय गेट के बाहर जेकेएसएसबी और प्रदेश प्रशासन के विरोध में प्रदर्शन कर जोरदार नारेबाजी की। महेश बख्शी ने कहा कि प्रदेश प्रशासन युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है।

जम्मू-कश्मीर सेवा चयन बोर्ड (जेकेएसएसबी) ने ब्लैक लिस्टेड कंपनी को निविदा दी है। इसी वजह से हाई कोर्ट ने वीरवार को परीक्षा रद्द करने का निर्देश दिया है। दूसरी बार परीक्षा रद्द हुई है। उन्होंने कहा कि पहले तो परीक्षा ही नहीं होती। अगर परीक्षा हो भी जाए तो फिर परिणाम घोषित नहीं किया जाता है।

युवा मानसिक तनाव महसूस कर रहे हैं। लेकिन सरकार को इस बात की फिक्र नहीं है। वहीं, वसीम सलमान ने कहा कि एप्टेक लिमिटेड एक ब्लैक लिस्टेड कंपनी है। कंपनी के डिफॉल्टर होने की बात बोर्ड को मालूम है, लेकिन फिर भी निविदा दी गई।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में बेरोजगारी बढ़ रही है। लाखों की तादाद में युवा डिग्री लेकर घरों में बैठे हैं। उन्हें नौकरी नहीं मिल रही। छात्र विजय, अवधेश इरफान आदि ने कहा कि शारीरिक परीक्षा करवाने का जिम्मा जम्मू-कश्मीर पुलिस को दिया जाना चाहिए।

लिखित परीक्षा कर्मचारी चयन आयोग करवाए। तभी परीक्षा में पारदर्शिता होगी। प्रदर्शन में फैराज, मन्नू और रौशल सहित अन्य भी शामिल रहे।

जीएनएम के अभ्यर्थियों ने जेके बोपी कार्यालय के बाहर बोला हल्ला

जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी के अभ्यर्थियों ने काउंसलिंग को लेकर बाहू प्लाजा स्थित जम्मू-कश्मीर व्यावसायिक बोर्ड कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी छात्रों की बात नहीं सुनी गई तो उन्होंने सड़क को जाम कर दिया। सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने तुंरत अभ्यर्थियों से सड़क खाली करवाई और उन्हें बोर्ड के अधिकारियों के पास लेकर गए।

अभ्यर्थियों ने कहा कि उनका नाम मेरिट सूची में है, लेकिन उन्हें दाखिला नहीं दिया जा रहा है। उन्हें मजबूरन प्रदर्शन करना पड़ रहा है। अभ्यर्थियों ने कहा कि बोर्ड ने उनका डेढ़ साल बर्बाद कर दिया है। उसके बाद भी उन्हें दाखिले से वंचित रखा जा रहा है।

बोर्ड के पास सीटें नहीं थीं तो उनका नाम सूची में क्यों डाला गया है। अब सीटें कम होने का खामियाजा अभ्यर्थियों को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने अधिकारियों से बात की तो उन्हें जवाब मिला कि सभी सीटें भर गई हैं। 

वहीं, बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में कुल 980 सीटें थीं। 2630 अभ्यर्थियों को दाखिले के लिए ई-मेल भेजा गया था। सात दिसंबर तक सीटें भर ली गई हैं। अब दिव्यांग कैटेगरी की सिर्फ एक सीट खाली है। अन्य आरक्षित वर्गों में 9 सीटें बची हैं।

सभी निजी और सरकारी संस्थानों में ओपन कैटेगरी की सीटें भरी गई हैं। सीटों की क्षमता के मुताबिक अभ्यर्थियों को बुलाया गया था। जब सीटें भर गईं तो वीरवार शाम को अभ्यर्थियों ई-मेल भेजकर सूचित किया था कि काउंसलिंग नहीं होगी। बावजूद इसके अभ्यर्थी आए हैं, इसमें बोर्ड की कोई गलती नहीं है।

लेटरल एंट्री कोटे को बढ़ाकर 50 प्रतिशत करें

सामाजिक कार्यकर्ता बलविंदर सिंह के नेतृत्व में पैरा मेडिकल उम्मीदवारों ने उप राज्यपाल के सलाहकार राजीव राय भटनागर से मुलाकात कर जीएनएम लेटरल एंट्री कोटा को 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की मांग की।

कहा कि लेटरल एंट्री में खाली रहने वाली सीटों को लेटरल एंट्री के उम्मीदवारों की काउंसलिंग पूरी होने के बाद सीधे एंट्री के कोटे में स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए। लेटरल एंट्री के कोटे से अभ्यर्थियों की संख्या काफी कम है। यूटी के निजी कॉलेजों में 60 प्रतिशत से अधिक सीटें खाली हैं।