कोडरमा। केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों (सीटीयू) और संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के देशव्यापी विरोध कार्यक्रम के तहत बुधवार को कोडरमा में किसानों और मजदूर संगठनों ने समाहरणालय परिसर के सामने जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगों में चारों श्रम संहिताओं को वापस लेना और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी दर्जा देना शामिल रहा।
प्रदर्शन से पहले उर्मिला चौधरी मोड़ से एक बड़ी रैली निकाली गई, जो मुख्य बाजार मार्ग से होते हुए जिला मुख्यालय पहुंची और सभा में बदल गई। रास्ते भर प्रदर्शनकारियों ने “मजदूर विरोधी लेबर कोड रद्द करो”, “श्रम संहिता गुलामी का दस्तावेज है” और “किसानों का कर्ज माफ करो” जैसे नारे लगाए।
सभा की अध्यक्षता झारखंड राज्य किसान सभा के राज्य संयुक्त सचिव असीम सरकार ने की। मंच से सीटीयू के राज्य सचिव संजय पासवान, जिला परिषद सदस्य एवं एटक नेता महादेव राम, सोनिया देवी, उदय द्विवेदी, सीटीयू के जिला सचिव रमेश प्रजापति, जिलाध्यक्ष प्रेम प्रकाश, किसान महासभा के राजेंद्र मेहता, किसान सभा के अर्जुन यादव, महेश सिंह, एक्टू के जिला सचिव विजय पासवान, तुलसी राणा और दामोदर यादव सहित कई नेताओं ने संबोधन दिया।
नेताओं ने आरोप लगाया कि चारों लेबर कोड मजदूरों को असुरक्षा और शोषण की ओर धकेलते हैं तथा पूंजीपति वर्ग के हितों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से तैयार किए गए हैं। उन्होंने 2020 में हुए ऐतिहासिक किसान आंदोलन और तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चले प्रदर्शन को याद करते हुए कहा कि आज भी किसानों की समस्याएँ जस की तस बनी हुई हैं।
कार्यकर्ताओं ने झारखंड में धान खरीदी व्यवस्था की विफलता पर भी चिंता जताई, जिसके कारण किसान दलालों को औने–पौने दाम पर उपज बेचने को विवश हो रहे हैं। वहीं बिजली के निजीकरण और स्मार्ट मीटर की अनिवार्यता को उन्होंने आम जनता पर अतिरिक्त बोझ बताया।
प्रदर्शन में महेंद्र तुरी, ग्यासुद्दीन अंसारी, भिखारी तुरी, शंभू कुमार, सुरेंद्र राम, पंसस सबिता देवी, सुनील कुमार गुप्ता, दिलीप कुमार सिन्हा, सिकंदर कुमार, नागेश्वर राम, संदीप कुमार और मोहम्मद शमीम सहित बड़ी संख्या में किसान–मजदूर शामिल हुए। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन भागीरथ सिंह ने दिया।