महालक्ष्मी नगर मेन रोड पर गृहनिर्माण संस्थाओं के आवासीय भूखंडों पर अवैध व्यावसायिक निर्माण धड़ल्ले से हो रहा है, जिसमें बैंक और अधिकारियों की मिलीभगत उजागर हो रही है। बैंकों द्वारा जब आम जनता को आवासीय लोन देने में वैधता का सख्ती से पालन किया जाता है, वहीं दूसरी ओर उन्होंने खुद अवैध इमारतें किराए पर ले रखी हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण राधिका पैलेस के भूखंड क्रमांक 52 और 53 हैं, जिनका अवैध रूप से संयुक्तिकरण कर विशाल व्यावसायिक इमारत बनाई गई। इस इमारत को एचडीएफसी बैंक को किराए पर दिया गया, साथ ही अल्टीमेट फिटनेस क्लब और अन्य गतिविधियों के लिए भी इस्तेमाल किया जा रहा है।
आवासीय भूखंडों पर अवैध निर्माण चल रहा
कलेक्टर आशीष सिंह ने हाल ही में बेसमेंट खाली कराने और पार्किंग की जगह सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई शुरू की। कुछ बिल्डिंगों को सील भी किया गया। लेकिन महालक्ष्मी नगर और अन्य क्षेत्रों में आवासीय भूखंडों पर 100 प्रतिशत अवैध निर्माण जारी है। इनमें बेसमेंट का प्रावधान न होकर इमारतें सीधे सड़क किनारे बनाई जा रही हैं। बॉम्बे हॉस्पिटल के सामने महालक्ष्मी नगर इसका स्पष्ट उदाहरण है, जहां जनकल्याण, पुष्प विहार, मजदूर पंचायत, सांई कृपा, देवी अहिल्या, सरस्वती गृह निर्माण जैसी संस्थाओं के आवासीय भूखंडों पर पूरी तरह अवैध व्यावसायिक इमारतें खड़ी कर दी गई हैं।
निगमायुक्त के नोटिस के बाद भी निर्माण नहीं रोका
राधिका पैलेस की इस अवैध बिल्डिंग पर भवन अधिकारी गीतेश तिवारी की भूमिका भी संदिग्ध नजर आती है। निगमायुक्त शिवम वर्मा के निर्देश के बावजूद इस निर्माण को रोका नहीं गया और गोलमोल नोटिस जारी किए गए। संयुक्तिकरण की कोई अनुमति नगर तथा ग्राम निवेश से नहीं ली गई। ऑनलाइन रिकॉर्ड में भी केवल एक भूखंड का नक्शा दर्ज है। निगमायुक्त शिवम वर्मा ने कहा कि बैंक को पहले ही सूचित किया जा चुका है कि वे ऐसी अवैध इमारत में संचालन न करें। जल्द ही राधिका पैलेस के साथ-साथ अन्य अवैध इमारतों पर भी बुलडोजर चलाया जाएगा।