टीकमगढ़ के पलेरा पुलिस थाने में माला पहने खड़ा यह युवक और कोई नहीं, बल्कि पलेरा पुलिस थाने के अंतर्गत आने वाले टपरियन चौहान गांव से यह बालक लापता हो गया था, जिसकी गुमशुदगी पलेरा पुलिस थाने में परिजनों द्वारा दर्ज कराई गई थी। शुक्रवार की शाम जानकारी देते हुए पलेरा पुलिस थाने के प्रभारी मनीष मिश्रा ने बताया कि वर्ष 2018 में परिजनों द्वारा पुलिस थाने में गुमशुदगी की सूचना दी गई थी, जिस पर गुमशुदा की कायमी की गई थी। लेकिन समय के साथ पुलिस लगातार प्रयास करती रही और लापता हुए बालक को बरामद नहीं किया जा सका।
नवागत पुलिस अधीक्षक मनोहर सिंह मंडलोई ने इस मामले को गंभीरता से लिया और पलेरा पुलिस थाना प्रभारी मनीष मिश्रा को निर्देशित किया कि इस बालक की बारामदगी होना चाहिए। इस पर मनीष मिश्रा द्वारा एक टीम का गठन किया गया। पुलिस को पता चला कि लापता हुआ बालक पंजाब की अमृतसर में मजदूरी कर रहा है। जहां पुलिस टीम द्वारा पहुंचकर उसे दस्तयाब किया गया और पलेरा पुलिस थाने लाया गया। पलेरा पुलिस को सुनील आदिवासी ने बताया कि वह पढ़ाई में मन न लगने के कारण घर से भाग गया था, जिस कारण से परिजन सात साल तक परेशान होते रहे। लेकिन बालक का कोई पता नहीं चला। जब उसे बरामद किया गया, उसकी उम्र 21 साल हो चुकी थी। जब लापता हुआ था, उसकी उम्र 14 वर्ष थी।
फूल माला पहनाकर भेजा घर
पलेरा पुलिस थाने के प्रभारी मनीष मिश्रा ने बताया कि पंजाब से बरामद करने के बाद बालक को पलेरा पुलिस थाने लाया गया और उनके परिजनों को बुलाया गया। इसके बाद फूल माला पहना कर विदा किया गया। इन सात सालों के दौरान बालक के साथ कोई भी घटना या कृत्य नहीं हुआ है।
मां बाप के चेहरे पर देखी गई खुशी
सात साल लंबे इंतजार के बाद आज उनका बालक उनकी आंखों के सामने था। पिता ने बताया कि उन्होंने उम्मीद छोड़ दी थी कि उनका बालक कहां चला गया है। उन्होंने बताया कि लापता होने के बाद परिजनों और रिश्तेदारों द्वारा काफी तलाश की गई। लेकिन बालक नहीं मिला और उसकी उम्मीद टूट चुकी थी। लेकिन आज उसकी अपनी आंखों के सामने देखकर की आंखें भर आई।