भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रदेश की 29 में से 29 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। इस बार भाजपा कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में सेंध लगाने पूरा जोर लगा रही है। यहां से एक के बाद एक नेताओं को भाजपा में शामिल किया जा रहा है। अब शुक्रवार को छिंदवाड़ा की अमरवाड़ा सीट से विधायक कमलेश शाह भाजपा में शामिल हो गए। शाह को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने अंगवस्त्र पहनाकर पार्टी की सदस्यता दिलाई। शाह ने भाजपा में शामिल होने से पहले अपने सोशल मीडिया अकाउंट के प्रोफाइल से कांग्रेस का नाम हटा दिया था। इसके बाद से ही उनके भाजपा में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई थी। शाह तीन बार से विधायक है। पिछले चुनाव में शाह ने भाजपा प्रत्याशी मोनिका बट्टी को हराया था। शाह के साथ उनकी धर्मपत्नी हरई नगरपालिका की पूर्व अध्यक्ष माधवी शाह व बहन जिला पंचायत सदस्य केसर नेताम ने भी भ्ज्ञाजपा की सदस्यता ली। शाह की आदिवासी वोटरों में अच्छी पकड़ है। इसे पूर्व सीएम कमलनाथ के लिए बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है।

यह नेता भी भी हो चुके छिंदवाड़ा से भाजपा में शामिल 
छिंदवाड़ा जिले में भाजपा लगातार पूर्व सीएम कमलनाथ को झटके पर झटका दे रही है। कुछ दिन पहले छिंदवाड़ा नगर निगम में कांग्रेस के 7 पार्षदों ने भाजपा की सदस्यता ली। इसके पहले पाढुर्ना नगर पालिका अध्यक्ष संदीप घोटोड़े, 16 सरपंच समेत कई नेताओं भगवा पार्टी में शामिल हुए। वहीं, कमलनाथ के करीबी सैयद जाफर और  पूर्व मंत्री दीपक सक्सेना के पुत्र अजय सक्सेना एवं पूर्व मंत्री तेजीलाल सरयाम की बहु सुहागवती सरयाम भी भाजपा छोड़ चुके हैं। 

मोदी लहर में भी भाजपा को नहीं मिली जीत 
छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर भाजपा को 2014 में मोदी लहर के बावजूद जीत नहीं मिली थी। यहां से कमलनाथ ने 9 बार लोकसभा का चुनाव जीता और वह दो बार यहां से विधायक भी बनें। पिछली बार 2019 में छिंदवाड़ा ही एक मात्र सीट थी, जिसे भाजपा जीतने में असफल रही थी। 2023 के विधानसभा चुनाव में छिंदवाड़ा की सातों विधानसभा सीटें कांग्रेस ने जीती थी। 

इस बार कमलनाथ का गढ़ बचाना आसान नहीं 
भाजपा ने कमलनाथ के गढ़ में सेंध लगाने के लिए बड़ी रणनीति तैयार की है। पहले पूर्व सीएम कमलनाथ और उनके बेटे नकुलनाथ को भाजपा में शामिल होने को लेकर अटकलें लगी, लेकिन जब यह विफल हो गई तो भाजपा ने उनके करीबियों को तोड़ने की चाल चली। छिंदवाड़ा में भाजपा के पदाधिकारी हजारों कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को भाजपा में शामिल करने का दावा कर रहे है। वहीं, पिछली बार नकुलनाथ को लोकसभा चुनाव में करीब 37 हजार वोटों से जीत मिली थी। वहीं, कमलनाथ भी विधानसभा का चुनाव 25 हजार वोटों से जीते। ऐसे में कयास लगाए जा रहे है कि इस बार पूर्व सीएम को अपना गढ़ बचाना बड़ी चुनौती होगा।