अपने चहेते पिता की जान बचाने के लिए एक डॉक्टर बेटी ने जान दांव पर लगा दिया। लिवर सिरोसिस की गंभीर बीमारी से जूझ रहे पिता को अपना 60 फीसदी लिवर डोनेट कर एक नई मिसाल पेश की है। यह बेमिसाल बेटी सतना जिले के डोमहाई गांव निवासी डॉ. प्रतिभा चतुर्वेदी (रश्मि) हैं, जिन्होंने अपनी परवाह किए बिना पिता रमेश चतुर्वेदी को लिवर डोनेट किया और अब खूब सराही जा रही हैं।
डोमहाई निवासी रमेश चतुर्वेदी पिछले एक साल से लिवर सिरोसिस जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। उनका इलाज चल रहा था, लेकिन डॉक्टरों ने लिवर ट्रांसप्लांट की सलाह दी। इस संकट की घड़ी में उनकी बेटी डॉ. प्रतिभा चतुर्वेदी (रश्मि) ने बिना किसी हिचकिचाहट के अपना 60 फीसदी लिवर अपने पिता को डोनेट करने का निर्णय लिया।
एक वर्ष पहले हुई थी खून की उल्टी
पिता रमेश चतुर्वेदी को एक साल पहले अचानक खून की उल्टियां होने लगी थीं और उन्हें बिलासपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान यह सामने आया कि उनका लिवर बुरी तरह से खराब हो चुका है। डॉक्टरों ने बताया कि अब ट्रांसप्लांट ही एकमात्र उपाय है। रमेश के परिवार के अन्य सदस्य भी लिवर डोनेट करने के लिए तैयार थे। लेकिन सबसे बड़ी बेटी ने सबसे पहले यह कदम उठाया।
करीब 10 घंटे तक चला ऑपरेशन
रमेश चतुर्वेदी का ऑपरेशन मेदांता अस्पताल गुड़गांव में हुआ। 15 डॉक्टरों की टीम ने लगभग 10 घंटे तक ऑपरेशन किया। डॉक्टर्स ने परिजनों को बताया था कि ऑपरेशन के बाद मरीज को होश आने में तीन दिन लग सकते हैं, लेकिन सफलता से भरे इस ऑपरेशन के कारण रमेश को 12 घंटे में ही होश आ गया। फिलहाल, दोनों की सेहत में सुधार हो रहा है।