उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में वैसे तो प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि का उत्सव नौ दिनों तक धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन इस वर्ष एक तिथि बढ़ने के कारण इस उत्सव को श्री महाकालेश्वर मंदिर में 10 दिनों तक धूमधाम से मनाया जाएगा. महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व की तैयारी धूमधाम से जारी है, जिसको लेकर मंदिर की रंगाई-पुताई के साथ ही गर्भगृह में रजत के दरवाजों की सफाई के साथ ही दीवारों को भी साफ किया जा रहा है.

महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व को परंपरागत पर्व के रूप में नौ दिनों तक मनाए जाने की परंपरा है. धार्मिक नगरी उज्जैन बाबा महाकाल, जो की इस नगरी के राजा हैं. इनके साथ ही यहां मां भगवती सती का अंग भी गिरा था, इसीलिए महाशिवरात्रि उत्सव यहां शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है. इस दौरान महाकालेश्वर मंदिर के कोटि तीर्थ पर विराजमान कोटेश्वर महादेव का पूजन-अर्चन किया जाता है, जिसके बाद बाबा महाकाल का अभिषेक, लघु अभिषेक कर नित्य भगवान का श्रृंगार चल प्रतिमाओं के माध्यम से होता है.

महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि इस वर्ष शिव नवरात्रि उत्सव फाल्गुन कृष्ण पक्ष की सप्तमी 19 और 20 फरवरी दो दिनों तक है. इसीलिए इस उत्सव को 10 दिन तक धूमधाम से मनाया जाएगा. मंदिर में शिव नवरात्रि पर वैसे तो बाबा महाकाल 9 दिनों तक अलग-अलग स्वरूपों में दर्शन देते हैं, लेकिन इस वर्ष 10 दिनों की शिव नवरात्रि उत्सव होने के कारण शिवरात्रि के प्रथम दिन चंदन और वस्त्र से जिस प्रकार बाबा महाकाल का श्रृंगार किया जाएगा, वही श्रृंगार दूसरे दिन भी होगा. इसके बाद क्रमशः तीसरे दिवस से लेकर अंतिम दिवस तक क्रमबद्ध श्रृंगार किए जाएंगे.

10 दिवसीय पर्व के दौरान यह होगा

विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में इस वर्ष शिव नवरात्रि पर्व के 10 दिवसीय आयोजन की शुरुआत 17 फरवरी से होगी. 26 फरवरी को महाशिवरात्रि तक भगवान का नौ रूपों में आकर्षक श्रृंगार किया जाएगा. ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में महाशिवरात्रि पर फाल्गुन कृष्ण पंचमी से फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी तक शिव नवरात्र उत्सव मनाया जाता है. इस वर्ष 17 फरवरी फाल्गुन कृष्ण पंचमी के पूजन के साथ शिव नवरात्रि की शुरूआत होगी.

सुबह आठ बजे पुजारी कोटितीर्थ कुंड के पास स्थित श्री कोटेश्वर महादेव को अभिषेक-पूजन कर हल्दी चढ़ाएंगे. करीब डेढ़ घंटे पूजन के उपरांत सुबह 9.30 बजे से गर्भगृह में भगवान महाकाल की पूजा होगी. पुजारी भगवान महाकाल का पंचामृत अभिषेक कर पूजा-अर्चना करेंगे. इसके बाद 11 ब्राह्मणों द्वारा रुद्रपाठ किया जाएगा. पश्चात दोपहर एक बजे भोग आरती होगी. तीन बजे संध्या पूजा के बाद नौ दिन तक भगवान का अलग-अलग स्वरूपों में श्रृंगार किया जाएगा.

इन स्वरूपों में दर्शन देंगे बाबा महाकाल

  • पहला दिन वस्त्र धारण- 17 फरवरी सोमवार को शिव नवरात्रि के पहले दिन बाबा महाकाल का चंदन से श्रृंगार किया जाएगा.
  • दूसरा दिन- 18 फरवरी मंगलवार को दूसरे दिन बाबा महाकाल का चंदन से श्रृंगार किया जाएगा.
  • तीसरा दिन शेषनाग- 19 फरवरी बुधवार को बाबा महाकाल का शेषनाग रूप में श्रृंगार किया जाता है।
  • चौथे दिन घटाटोप- 20 फरवरी गुरुवार को बाबा महाकाल भक्तों को घटाटोप रूप में दर्शन देंगे.
  • 5वें दिन छबीना- 21 फरवरी शुक्रवार को 5वें दिन बाबा महाकाल का छबीना श्रृंगार किया जाता है, जो कि एक राजकुमार की तरह किया जाता है.
  • छठे दिन होल्कर- शिव नवरात्रि के छठे दिन 22 फरवरी शनिवार को महाकाल बाबा को होलकर परंपराओं के अनुसार सजाया जाएगा.
  • सातवें दिन मनमहेश- शिव नवरात्रि के सातवें दिन 23 फरवरी रविवार को बाबा महाकाल को मनमहेश के रूप में सजाया जाएगा.
  • आठवां दिन उमा महेश- 24 फरवरी सोमवार को बाबा महाकाल माता पार्वती के साथ उमा-महेश के रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं.
  • नवां दिन शिव तांडव- नवां दिन 25 फरवरी मंगलवार को बाबा महाकाल शिव तांडव के रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं.
  • दसवां दिन निराकार- 26 फरवरी बुधवार को शिव नवरात्रि के आखिरी दिन में महाकाल को दूल्हे के रूप में सजाया जाता है. कई क्विंटल फूलों का सेहरा बाबा को पहनाया जाता है.

ऐसी होती है श्रृंगार सामग्री की व्यवस्था

बाबा महाकाल के श्रृंगार में उपयोग में लाई जाने वाली सामग्री को लेकर जब महाकाल मंदिर के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल से चर्चा की गई तो उनका कहना था कि महाशिवरात्रि पर होने वाले संपूर्ण खर्च का वहन श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति के द्वारा किया जाता है. मंदिर में प्रतिदिन ही दान के साथ ही श्रद्धालु बाबा महाकाल को रजत मुकुट, मुंडमाला, जलधारी और श्रृंगार सामग्री अर्पित करते हैं, जिसे कोठार शाखा में जमा करवा दिया जाता है और ऐसे उत्सव के समय इन सामग्रियों का उपयोग भगवान के श्रृंगार के रूप में किया जाता है. कहने को तो बाबा महाकाल नौ स्वरूप में शिव नवरात्रि के दौरान दर्शन देंगे, लेकिन बाबा महाकाल को प्रतिदिन इतना दान आता है कि इस श्रृंगार के लिए श्री महाकालेश्वर समिति को परेशान नहीं होना पड़ता है.