ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड अध्यक्ष काजी सैयद अनस अली नदवी ने कहा कि कई महीनों के चुनावी शोर में किसी को नियमों का ख्याल नहीं रहा। अब सारे काम से फारिग होते ही ताबड़तोड़ सख्ती करने और कार्रवाई की बात कही जाने लगी है, लेकिन सरकार के मुंह से निकली बात प्रशासन के कानों तक पहुंचने तक अपने अर्थ बदल रही है। इस दौरान इस बात का ख्याल भी नहीं रखा जा रहा है कि इस सारी प्रक्रिया में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना ही रही है।

ध्वनि नियंत्रण को माना जा रहा प्रतिबंध
काजी अनस ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने समीक्षा बैठक में सभी धार्मिक स्थलों के ध्वनि विस्तारक यंत्रों के ध्वनि नियंत्रण की बात कही है, लेकिन जमीनी स्तर पर काम करने वाले प्रशासन ने इसको नियंत्रण का रूप दे दिया है। जिसके आधार पर उन्होंने ताबड़तोड़ लाउडस्पीकर हटवाना शुरू कर दिया है। यह कार्रवाई भी एकतरफा करते हुए सिर्फ समुदाय विशेष पर ही थोपी जा रही है, जो सरासर गलत है। उन्होंने कहा कि ऐसी कार्रवाई समाज में वैमनस्यता और विद्रोह के हालात बना सकती हैं।

बोर्ड करेगा यह पहल
ऑल इंडिया बोर्ड की टेक्निकल टीमें अब देशभर में निकलने वाली हैं। बोर्ड अध्यक्ष ने कहा कि यह टीमें अदालत के आदेश के मुताबिक लाउड स्पीकर की स्पीड सेट करेगी। इसके बाद इसका तकनीकी प्रमाण पत्र संबंधित थाने और जिला प्रशासन को भी सौंपा जाएगा। बोर्ड द्वारा मस्जिदों के सूचना पटल पर ध्वनि विस्तारक से संबंधित आदेश की प्रति भी चस्पा करेगी। ताकि मस्जिद कमेटी को इसकी जानकारी भी रहे और भेदभावपूर्ण कार्रवाई करने पहुंचे अमले को इसका अवलोकन भी कराया जा सके।

नहीं रुका भेदभाव तो लेंगे अदालत की शरण
काजी अनस ने कहा कि प्रशासन द्वारा सरकारी आदेश की आड़ में किए जाने वाले भेदभाव पर तत्काल रोक नहीं लगाई, तो इस मामले को अदालत की अवमानना माना जाएगा। जिसको लेकर बोर्ड अदालत का दरवाजा खटखटाएगा।