नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) आज अपनी स्थापना के 100 साल पूरे होने के अवसर पर शताब्दी वर्ष समारोह मना रहा है। विजयादशमी के इस कार्यक्रम का आयोजन नागपुर के रेशम बाग मैदान में किया गया, जिसमें 21 हजार से अधिक स्वयंसेवक शामिल हुए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद थे।

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संबोधन में संगठन के संस्थापक डॉ. केबी हेडगेवार को श्रद्धांजलि दी और कहा कि संघ हमेशा समाज की सुरक्षा और अनुशासन के लिए प्रतिबद्ध रहा है। भागवत ने संघ की शाखाओं की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि आदत और अनुशासन ही व्यक्ति और समाज को मजबूत बनाता है। उन्होंने कहा, “जैसा आपको देश चाहिए वैसा आपको खुद होना पड़ेगा।”

भागवत ने अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों और प्राकृतिक आपदाओं का जिक्र करते हुए कहा कि देश को आत्मनिर्भर बनाना आवश्यक है। उन्होंने हिंसा की निंदा की और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के माध्यम से ही बदलाव लाने की आवश्यकता पर जोर दिया। संघ प्रमुख ने कहा कि विश्व समाज आज भारत की ओर उम्मीद की नजर से देख रहा है और नई पीढ़ी में देशभक्ति की भावना बढ़ रही है।

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी अपने संबोधन में आरएसएस के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि संघ में जातिवाद का कोई स्थान नहीं है और यह संस्था अनुशासन और समर्पण के माध्यम से देशभक्ति का निर्माण करती है। उन्होंने डॉ. हेडगेवार, गुरुजी और रज्जू भैया के योगदान को याद किया।

आरएसएस का विजयादशमी उत्सव देशभर की 83 हजार से अधिक शाखाओं में भी मनाया जा रहा है। कार्यक्रम में योग, शस्त्र पूजन, प्रात्यक्षिक, नियुद्ध, घोष और प्रदक्षिणा जैसे आयोजन शामिल थे। इस अवसर पर कई विदेशी मेहमान भी शामिल हुए, जिनमें घाना, दक्षिण अफ्रीका, इंडोनेशिया, थाईलैंड, यूके और यूएसए के प्रतिनिधि मौजूद थे।