नई दिल्ली:  महाराष्ट्र में जारी सियासी घमासान का अंत हो गया है. शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री होंगे. वह आज शाम 7.30 बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे.   इस संबंध में भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि आज मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार होगा. इस दौरान शिवसेना और भाजपा दोनों ही दलों के नेता शपथ लेंगे. वहीं, फडणवीस ने कहा कि मैं सरकार से बाहर रहूंगा. इससे पहले महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना के बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे ने गुरुवार शाम को राज भवन जाकर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की थी. इस दौरान दोनों नेताओं ने गठबंधन सरकार बनाने का दावा पेश किया था. गौरतलब है कि शिवसेना से एकनाथ शिंदे गुट के 39 विधायकों के अलग हो जाने के बाद बुधवार रात फ्लोर टेस्ट के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था.   

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अगला चुनाव जीतने के लिए गठबंधन से अलग होना था जरूरी

महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री के लिए नॉमिनेट होने के बाद एकनाथ मीडिया से कहा कि हमने जो निर्णय लिया है वह बालासाहेब के हिंदुत्व और हमारे विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए प्रतिबद्ध है. इस मौके पर उन्होंने 50 विधायक के अपने साथ होने का दावा किया. शिंदे ने दावा किया कि हम अपने निर्वाचन क्षेत्र की शिकायतों और विकास कार्यों के से संबंधित मुद्दों को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पास गए और उन्हें सुधार की आवश्यकता पर सलाह दी, क्योंकि हमें यह एहसास होने लगा कि हमारे लिए अगला चुनाव जीतना मुश्किल होगा. हमने भाजपा के साथ स्वाभाविक गठबंधन की मांग की थी.

उद्धव ठाकरे के अड़ियल रुख से विधायक हुए बागी
इस दौरान महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि शिवसेना विधायक मांग कर रहे थे कि कांग्रेस और एनसीपी से गठबंधन खत्म किया जाए, लेकिन उद्धव ठाकरे ने इन विधायकों की अनदेखी कर एमवीए गठबंधन के सहयोगियों को प्राथमिकता दी, इसलिए इन विधायकों ने अपनी आवाज बुलंद करने के लिए बगावत की. उन्होंने कहा कि 2019 में भाजपा और शिवसेना का गठबंधन हुआ था और हमें विधानसभा चुनावों में आवश्यक संख्या मिली थी.

शिवसेना ने 2019 में किया था जनादेश का अपमान
हमें सरकार बनाने की उम्मीद थी, लेकिन शिवसेना ने उन लोगों के साथ गठबंधन करना चुना, जिनके खिलाफ बालासाहेब ने जीवन भर संघर्ष किया. शिवसेना ने उन लोगों के साथ गठबंधन किया, जो हिंदुत्व और सावरकर के खिलाफ हैं. शिवसेना ने जनादेश का अपमान किया था. एक तरफ शिवसेना ने दाऊद (इब्राहिम) का विरोध किया और दूसरी तरफ एक ऐसे शख्स को कैबिनेट में रखा, जो दाऊद की मदद करने के आरोप में जेल गया था. वे सावरकर का अपमान करने वाले के साथ गठबंधन में थे.