एल्गार परिषद-माओवादी लिंक मामले में आरोपी कार्यकर्ता ज्योति जगताप को जेल के अंदर हर महीने पांच किताबें प्राप्त करने की अनुमति दी गई है। ज्योति जगताप अभी मुंबई की बायकुला जेल में बंद है।
एनआईए कोर्ट के जज राजेश जे. कटारिया ने सोमवार को उनकी जेल में किताबों की मांग करने वाली याचिका को स्वीकार किया और मंगलवार को आदेश दिया।
कबीर कला मंच की सदस्य जगताप को सितंबर 2020 में नक्सली गतिविधियों को बढ़ावा देने और माओवादी विचारधारा को आगे बढ़ाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। एनआईए ने उन पर सांस्कृतिक समूह के अन्य सदस्यों के साथ एल्गार परिषद सम्मेलन में भड़काऊ नारे लगाने का आरोप लगाया है। एल्गार परिषद सम्मेलन दिसंबर 2017 में पुणे में आयोजित किया गया था।
वकील शरीफ शेख और कृतिका अग्रवाल के जरिए दायर अपनी याचिका में ज्योति जगताप ने कहा था कि उन्होंने मनोविज्ञान में मास्टर ऑफ आर्ट्स (एमए) पूरा किया है और जेल में हर महीने कुछ किताबें प्राप्त करना चाहती हैं। याचिका में आगे कहा गया कि पिछली बार बायकुला जेल के अधीक्षक ने पुस्तकों की डिलीवरी को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था और इसके लिए उन्हें कोर्ट का आदेश प्राप्त करने के लिए कहा था।
वहीं अभियोजन पक्ष ने ज्योति की याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि आरोपी ने उन किताबों के नाम नहीं बताए जिन्हें वह प्राप्त करना चाहती थीं। हालांकि कोर्ट ने कहा कि बायकुल जेल अधीक्षक (महिला) आवेदक ज्योति जगताप को उनके रिश्तेदारों/वकीलों से एक महीने में पांच सामान्य/शैक्षणिक पुस्तकें प्राप्त करने की अनुमित देगी।
जज कटारिया ने कहा कि अधीक्षक, पुस्तकों को आवेदक को सौंपने से पहले उसकी जांच और सत्यापन करेंगे। इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि आवेदक द्वारा प्राप्त की जाने वाली पुस्तकों में कोई भी आपत्तिजनक, अश्लील या प्रतिबंधित संगठनों का प्रचार करने वाली गैरकानूनी सामग्री प्राप्त करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
मामला 31 दिसंबर, 207 को पुणे के शनिवारवाड़ा में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से जुड़ा है। इसको लेकर पुलिस ने दावा किया था कि अगले दिन इलाके में भीमा-कोरेगांव युद्ध स्मारक के पास हिंसा हुई।
मामले की शुरुआती जांच पुणे पुलिस ने की थी और दावा किया था कि इस सम्मेलन को माओवादियों का समर्थन प्राप्त था।