एनसीपी से बगावत कर शिंदे सरकार में शामिल होने वाले अजित पवार ने पटना में विपक्षी दलों की बैठक पर भी तंज कसा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली और पंजाब जिनके पास है, वो दोनों मुख्यमंत्री वहां बैठे थे। वहां कुछ न कुछ बात बिगड़ी, वो निकल गए। स्टालिन खाने के लिए भी नहीं रुके। ये तीनों मुख्यमंत्री प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए भी नहीं रुके। ऐसे देश चलेगा नहीं। अतीत में भी हमने देखा कि कई प्रधानमंत्री आए, लेकिन अब 2024 में भी मोदी साहब ही जीतकर आएंगे। जब देश में मोदी के अलावा कोई और विकल्प नहीं है तो उन्हें समर्थन देने में क्या बुराई है।
भाजपा के साथ जाने में क्या आपत्ति है
इसके अलावा एनसीपी प्रमुख शरद पवार के बेहद करीबी माने जाने वाले प्रफुल्ल पटेल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) से बगावत कर अजित गुट में शामिल हो गए। वहीं प्रफुल्ल पटेल ने बैठक के दौरान कहा कि जब हम शिवसेना की विचारधारा को स्वीकार कर सकते हैं तो फिर भाजपा के साथ जाने में क्या आपत्ति है? हम एक स्वतंत्र इकाई के रूप में इस गठबंधन में शामिल हुए हैं।
पटना बैठक को देखकर हंसने का मन हुआ
आगे उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में महबूबा मुफ्ती और फारूक अब्दुल्ला भाजपा के साथ चले गए और अब वे संयुक्त विपक्ष का हिस्सा हैं। मैं शरद पवार के साथ पटना में संयुक्त विपक्ष की बैठक में गया था और वहां का दृश्य देखकर मुझे हंसने का मन हुआ। वहां 17 विपक्षी दल थे, सात में से लोकसभा में केवल एक सांसद है और एक पार्टी ऐसी है जिसके पास 0 सांसद हैं। उनका दावा है कि वे बदलाव लाएंगे... हमने यह फैसला (एनडीए में शामिल होने का) देश और अपनी पार्टी के लिए लिया है, व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं।
प्रधानमंत्री मोदी की सराहना की
इससे पहले पटेल ने कहा था कि प्रधानमंत्री देश ही नहीं विदेश में भी बहुत लोकप्रिय हैं। देश में तो प्रधानमंत्री की लोकप्रियता सबसे अधिक है। आगे कहा कि प्रधानमंत्री की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने पूर्ण बहुमत के साथ दो बार सरकार बनाई है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के भीतर सही तालमेल नहीं है।