महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस शुक्रवार को एक नया रिकार्ड बनाएंगे। वे कल पंढरपुर के प्रसिद्ध विट्ठल मंदिर में पारंपरिक कार्तिकी एकादशी' पूजा करेंगे। यह पूजा करने के बाद वे पंढरपुर मंदिर में दोनों 'पारंपरिक' पूजा करने वाले राज्य के पहले नेता बन जाएंगे। गौरतलब है कि महाराष्ट्र के प्रमुख तीर्थ स्थल और वारकरी संप्रदाय के केंद्र वाले पंढरपुर के प्रसिद्ध विट्ठल मंदिर में राज्य सरकार की ओर से प्रथागत पूजा आयोजित की जाती है। यहां आषाढ़ी एकादशी और कार्तिकी एकादशी में दो प्रमुख पूजाएं की जाती हैं।
वह शुक्रवार को उप मुख्यमंत्री के तौर पर मंदिर में 'कार्तिकी एकादशी' पूजा करेंगे। इससे पहले साल 2014 से 2019 तक जब वे राज्य के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने अपने कार्यकाल में सीएम के रूप में मंदिर में 'आषाढ़ी एकादशी' की परंपरागत पूजा की थी।
देवेंद्र फडणवीस बनेगें ऐसा करने वाले पहले नेता
वहीं, देवेंद्र फडणवीस के मामले में ये गणित बदल गई है। दरअसल, वह इस साल जून में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में डिप्टी सीएम बने। वहीं, 2014 से 2019 के बीच उन्होंने पांच साल तक मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। वे राज्य के ऐसे पहले नेता हैं जो सीएम और डिप्टी सीएम दोनों बने हैं। मंदिर प्रशासन से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि इसी गणित के कारण फडणवीस दोनों पूजा करने का मौका पाने वाले पहले राजनेता होंगे।
साल 2014 में एकनाथ खडसे ने की थी पूजा
वहीं, 2014 के चुनावों के बाद सबसे बड़ी पार्टी भाजपा ने अपनी तत्कालीन सहयोगी शिवसेना को डिप्टी सीएम पद की पेशकश नहीं की थी। लेकिन भाजपा के वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे को कार्तिकी पूजा करने का सम्मान दिया गया। हालांकि खड़से के इस्तीफे के बाद (मंत्री) चंद्रकांत पाटिल ने बाद के वर्षों में कार्तिकी एकादशी पूजा की।
1985 से शुरू हुई प्रथा
साल 1985 से राज्य में एक प्रथा बनाई गई थी। तब से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री आषाढ़ी एकादशी पर विट्ठल रुक्मिणी मंदिर में पूजा करते हैं। वहीं, 1995 से उपमुख्यमंत्री को कार्तिकी एकादशी पूजा करने का सम्मान दिया जाता रहा है। ये दोनों पूजा ऐसे ही हर साल होती हैं, लेकिन किसी भी राजनेता को कभी भी दोनों पूजा करने का गौरव प्राप्त नहीं हुआ था। दरअसल, देवेंद्र फडणवीस के अलावा किसी और नेता ने राज्य के सीएम और डिप्टी सीएम के पद पर कभी कब्जा ही नहीं जमाया।
क्यों शुरू हुई ये प्रथा
वहीं, 1995 में जब शिवसेना-भारतीय जनता पार्टी की सरकार सत्ता में आई थी। उन चुनावों में शिवसेना के मनोहर जोशी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने थे जबकि भाजपा के गोपीनाथ मुंडे उपमुख्यमंत्री बने थे। वहीं, इस प्रथा की शुरुआत क्यों हुई? इसका जवाब देते हुए एक वरिष्ठ राजनीतिक पर्यवेक्षक ने बताया कि पंढरपुर मंदिर में दो पूजाओं को सीएम और डिप्टी सीएम के बीच विभाजित करने की प्रथा तब शुरू करने के पीछे का कारण गठबंधन सरकारों में "राजनीतिक अहंकार" को कम करना था।