महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे एक बार फिर अपने विवादित बयानों को लेकर विवादों में घिर गए हैं। हिंदी भाषी समुदाय के खिलाफ कथित रूप से हिंसा भड़काने और भाषा आधारित घृणा फैलाने के आरोपों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में उनके खिलाफ जनहित याचिका दायर की गई है। यह याचिका अधिवक्ता घनश्याम उपाध्याय द्वारा दाखिल की गई है, जिसमें ठाकरे और उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है।
‘मराठी बनाम हिंदी’ का मुद्दा गरमाया
राज्य में मराठी और हिंदी भाषियों के बीच विवाद ने एक बार फिर राजनीतिक रंग ले लिया है। मनसे प्रमुख राज ठाकरे के हालिया बयानों ने इस बहस को और तीखा कर दिया है। उन्होंने कहा था कि यदि कोई मराठी भाषा का अपमान करता है तो उसे “महाराष्ट्र स्टाइल” में जवाब मिलेगा। उनका कहना था कि जो भी राज्य में रह रहे हैं, उन्हें मराठी सीखनी चाहिए और मराठी संस्कृति का सम्मान करना चाहिए।
‘मीरा रोड की घटना सही थी’— ठाकरे
राज ठाकरे ने मीरा रोड की एक घटना का ज़िक्र करते हुए कहा कि वहां जो व्यक्ति पीटा गया, उसे उचित सजा दी गई क्योंकि उसने मराठी भाषा और भावना का अपमान किया था। उन्होंने यह भी कहा कि “अगर कोई मस्ती करेगा तो उसे महाराष्ट्र के तरीके से समझाया जाएगा।”
‘हिंदी थोपने की कोशिश न करें’
अपने भाषण में ठाकरे ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में उनकी हिंदी कई नेताओं से बेहतर है, लेकिन वह हिंदी को जबरन स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि महाराष्ट्र का अस्तित्व और पहचान मराठी भाषा से जुड़ी हुई है और इसे किसी भी सूरत में कमजोर नहीं होने दिया जाएगा।
‘सरकार सड़क पर भी होती है’
राज ठाकरे ने राज्य सरकार पर भी निशाना साधते हुए कहा कि सत्ता केवल विधानसभा या संसद में नहीं होती, बल्कि जनता की आवाज़ सड़क पर भी सुनाई देती है। उन्होंने गैर-मराठी लोगों से आग्रह किया कि वे जल्द से जल्द मराठी भाषा बोलना शुरू करें और सभी सार्वजनिक स्थलों—चाहे रिक्शा हो, दुकान या कार्यालय—में मराठी का प्रयोग करें।