भारत माला प्रोजेक्ट के तहत बन रहे दिल्ली-कटड़ा एक्सप्रेसवे की रफ्तार पंजाब में बेहद धीमी है। हरियाणा में जहां एक्सप्रेसवे पर टोल प्लाजा भी शुरू हो गया है, वहीं पंजाब में अभी तक भूमि अधिग्रहण का काम भी पूरा नहीं हुआ है।

अमृतसर जिले में अभी 70 प्रतिशत काम बाकी है। वहीं, तरनतारन में सिर्फ 47 प्रतिशत ही भूमि अधिग्रहण हो पाया है। बठिंडा में हाल ही में अमृतसर-जामनगर हाईवे के लिए भूमि अधिग्रहण के दौरान किसानों और पुलिस के बीच जोरदार टकराव हुआ था। अमृतसर में प्रशासन और किसान आमने-सामने आ चुके हैं।

इससे पहले जब नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) के इंजीनियरों और कर्मचारियों पर हमले हुए थे, तो केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने पंजाब को दिए एनएचएआई के प्रोजेक्ट रद्द करने की चेतावनी थी। अब एक बार फिर किसानों और प्रशासन के बीच टकराव के कारण एक्सप्रेसवे का काम लटकता दिख रहा है। इसी पर आधारित विशेष रिपोर्ट।

जालंधर में बेहद धीमा चल रहा काम, करना पड़ा बदलाव

दिल्ली-अमृतसर-जम्मू-कटड़ा एक्सप्रेसवे का काम जालंधर में कछुए की चाल से हो रहा है। यह एक्सप्रेस-वे पंजाब के साथ-साथ जालंधर से भी होकर गुजरेगा। इसके रूट के तहत जालंधर के वडाला चौक से 15 किलोमीटर दूर कंग साबू गांव से एक्सप्रेस-वे का एक हिस्सा नकोदर की तरफ मुड़कर गोइंदवाल साहिब की ओर भेजा गया है।

इसके अलावा दूसरा हिस्सा गांव रामपुर ललियां से होकर कपूरथला रोड की तरफ बढ़ेगा व यह करतारपुर को क्रॉस कर रहा है। इस हाईवे के मास्टर प्लान के तहत एक तरफ यह कपूरथला व दूसरी तरफ फगवाड़ा से जुड़ने जा रहा है। इस प्रोजेक्ट के कार्य की गति की बात करें तो कंग साहबू गांव के जिन-जिन खेतों में से हाईवे गुजरेगा, वहां पर काम शुरू किया जा चुका हैं। इस प्रोजेक्ट के तहत बनने वाले एक्सप्रेस-वे से लोग 2.30 घंटे में जम्मू पहुंच सकेंगे, जबकि इस काम में हो रही देरी के चलते जालंधर से जम्मू पहुंचने में लोगों को 6 से 6.5 घंटे लग रहे हैं।

इसके साथ ही एक्सप्रेस-वे कस्बा फिल्लौर से होकर नकोदर से गुजरेगा। जालंधर से सटे कैंटोनमेंट एरिया की हद के ग्रामीण क्षेत्र से लेकर लांबड़ा, काला संघा रोड और कपूरथला रोड की तरफ बढ़ाया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट से सिटी का रकबा 90 किलोमीटर से बढ़कर 125 किलोमीटर तक हो चुका है। नगर निगम के चुनाव से पहले छावनी क्षेत्र के 13 गांव नगर निगम की हद में शामिल किए गए थे।

जालंधर और कपूरथला जिलों ने पैकेज-10 के 39.5 किलोमीटर लंबे चरण-1 के लिए 97 प्रतिशत भूमि दे दी है, जबकि लुधियाना, जालंधर, संगरूर और मलेरकोटला ने पैकेज-9 के 43.04 किलोमीटर लंबे चरण-1 और पैकेज-8 के 36.8 किलोमीटर लंबे चरण-1 के लिए 96 प्रतिशत भूमि मंजूर कर ली है। इसी प्रकार, जालंधर, कपूरथला और गुरदासपुर जिलों में 43.02 किलोमीटर लंबे फेज-1 पैकेज-11 के लिए 83 प्रतिशत भूमि दे दी गई है, जबकि लुधियाना और मालेरकोटला जिलों से गुजरने वाले 35.09 किलोमीटर लंबे फेज-1 पैकेज-8 के लिए 69 प्रतिशत सभी कब्जों को हटा दिया गया है।  

लुधियाना में जमीन अधिग्रहण में अड़ंगा, प्रोजेक्ट पिछड़ा

पंजाब में जमीन अधिग्रहण को लेकर आ रही लगातार अड़चनों के कारण यह प्रोजेक्ट पिछड़ गया है। लुधियाना के 24 गांवों के 38.95 किलोमीटर के इलाके से यह प्रोजेक्ट गुजर रहा है। इसमें भी जमीन अधिग्रहण को लेकर काफी दिक्कतें आईं, लेकिन अब अधिग्रहण का काम लगभग पूरा कर लिया गया है और इस पर निर्माण कार्य चल रहा है। यह प्रोजेक्ट 2022 में शुरू किया गया था। लुधियाना जिले में 22 किलोमीटर के पैकेज में पंद्रह मार्च 2023 को कंपनी को ठेका दिया गया था, लेकिन जमीन अधिग्रहण न होने के कारण कंपनी काम नहीं कर पाई और अब कंपनी ने इस प्रोजेक्ट पर काम करने से हाथ खड़े कर दिए हैं। इसके अलावा दूसरे पैकेज में 16.9 किलोमीटर के एरिया में इस प्रोजेक्ट का करीब साठ फीसदी तक काम पूरा कर लिया गया है।

बताया जा रहा है कि यह प्रोजेक्ट कुल 39 हजार करोड़ का है। इसमें 21 पैकेज में निर्माण कार्य किया जा रहा है। इसमें 14 फ्लाईओवर, 14 रेलवे ओवरब्रिज, 31 इंटरचेंज बनाए जा रहे हैं। यह प्रोजेक्ट कुल 670 किलोमीटर लंबा है। ट्रैफिक एक्सपर्ट राहुल वर्मा का कहना है कि लुधियाना जिले में जमीन अधिग्रहण के कारण ही इस प्रोजेक्ट के काम में देरी हुई है। उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट के पूरा होने से पंजाबियों को काफी राहत मिलेगी। उन्होंने कहा कि पंजाब में जमीन अधिग्रहण समस्या है, लुधियाना हाईवे प्रोजेक्ट भी अधिग्रहण में दिक्कतों के कारण अटका हुआ है। 

अमृतसर में सात माह से रुका है काम, मार्च 2026 तक पूरा हो पाएगा

पंजाब में दिल्ली-अमृतसर कटड़ा एक्सप्रेसवे का काम पूरा होने के लिए अभी लोगों मार्च 2026 तक का इंतजार करना पड़ेगा। किसानों का मुआवजे को लेकर सरकार के साथ विवाद जारी है। किसान अपनी भूमि का कब्जा हाईवे के लिए सरकार और एनएचएआई को नहीं दे रहे हैं। अमृतसर जिले के अधीन हाईवे का काम पूरी तरह पिछले करीब 7 माह से रुका हुआ है। 

अमृतसर और तरनतारन जिलों अभी तक 70 प्रतिशत काम होने वाला है।
गौर हो कि सड़क परिवहन मंत्रालय की ओर से देश में 5 ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे प्रोजेक्ट शुरू किए गए थे। इसके तहत दिल्ली-अमृतसर-कटड़ा एक्सप्रेस का प्रोजेक्ट तैयार होने के बाद 669 किलोमीटर का सफर लोगों कुछ घंटों में पूरा कर लेंगे। यहां तक कि पूरे देश में बन रहे इन 5 एक्सप्रेस-वे प्रोजेक्ट की कुल लंबाई 2489 किलोमीटर है। 

हाईवे के अंतरगत अमृतसर जिला का एरिया प्रोजेक्ट के फेस-1 ग्रीन फील्ड के तहत आता है। जिसमें पैकेज नंबर 11 के अनुसार 43.2 किलोमीटर जालंधर-कपूरथला रोड एनएच-703 ए नजदीक खोजेवाल गांव से अमृतसर टांडा रोड एनएच503 ए नजदीक हरगोविंद पुर करीब 319.400 किलोमीटर से 362.420 किलोमीटर है।

इसी तरह पैकेज नंबर 12 के अनुसार यह 35.28 किलोमीटर के अनुसार अमृतसर टांडा रोड एनएच-503ए नजी श्री हरगोबिंदपुरा से पठनकोट गुरदासपुर रोड एनएच-54 नजदीक गुरदासपुर 362.420 किलोमीटर से 397.700 किलोमीटर के दायरे में है। यह एरिया जंडियाला गुरु से लोपोके एरिया आदि से होते हुए गुरदासपुर में प्रवेश करता है। इस एरिया का 70 प्रतिशत काम अभी लंबित है।

शुरू से विवादों में रहा प्रोजेक्ट

शुरू से ही एक्सप्रेस-वे प्रोजेक्ट विवादों में रहा है। कभी किसानों ने मुआवजे को लेकर अपना विरोध जताया तो कभी प्रोजेक्ट का काम करने वाले इंजीनियर से मारपीट का मामला सामने आया। हालांकि, खुद केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी भी इस प्रोजेक्ट को पंजाब में बंद करने के लिए सरकार को पत्र लिख चुके है,

लेकिन बाद में मुख्यमंत्री भगवंत मान के हस्तक्षेप के बाद इसे दोबारा शुरू किया गया। अभी तक किसानों की ओर से भूमि को कब्जे में लेने के लिए किए जा रहे लगातार विरोध के चलते काम नहीं हो पा रहा है, जबकि यह काम मार्च 2024 तक मुकम्मल होना था। एसडीएम-2 मनकंवल सिंह कहते हैं कि काफी किसान अभी भूमि का कब्जा नहीं दे रहे हैं। उनसे बातचीत चल रही है। जल्द ही लंबित काम मुकम्मल कर लिया जाएगा।