नगर निगम ने हाल ही करीब 80 करोड़ रुपए खर्च करते हुए लुक वाली सड़कें शहर भर में बनाई थी। लेकिन काम की क्वालिटी इतनी घटिया निकली की ये नई सड़कें दो महीनों में उधड़ गईं। वहीं, इन सड़कों के बनने बाद बार-बार टूटने की समस्या का परमानेंट हल निकालने को 6 माह पहले एक पायलट प्रोजेक्ट निगम की हाउस मीटिंग में वाॅर्ड नंबर-94 के पार्षद गुरप्रीत सिंह सिफारिश पर मंजूर हुआ था कि प्लास्टिक वेस्ट का इस्तेमाल करते हुए लगभग 800 मीटर की सड़क बनाई जाएगी, जिसके सफल परिणाम स्वरूप इसे शहर में बनने वाली सभी लुक वाली सड़कों के लिए प्रयोग में लाया जाएगा।
क्योंकि प्लास्टिक वेस्ट से बनी सड़कें 5 साल से भी ज्यादा का समय निकाल देती हैं। हैरान करने वाली बात ये है कि जिन इंजीनियरों को इस प्रोजेक्ट पर काम करते हुए सड़क बनाने की जिम्मेदारी सौंपी थी, वो इसे भुला चुके हैं। इस संबंध मे पार्षद गुरप्रीत सिंह ने कहा कि वह आने वाले हाउस मीटिंग में इस मुद्दे को गंभीरता से उठाएंगे। क्योंकि शहर को एक मजबूत ढांचे की जरूरत है, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण सड़कों का मामला है।
इसे लेकर ही निगम के इंजीनियर गंभीर नहीं हैं। बता दें कि शहर से रोज निकलने वाला प्लास्टिक कचरा शहरवासियों और नगर निगम के लिए ही बड़ी मुसीबत बन चुका है। साथ ही पर्यावरण के लिए भी ये बहुत खतरनाक है। पॉलिथीन और प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए नगर निगम नया विकल्प ढूंढ तो लिया है, परंतु इस पर अमल नहीं किया जा रहा। जबकि इस प्रोजेक्ट को मेयर बलकार सिंह संधू की तरफ से मंजूरी दी जा चुकी है। इसके लिए एस्टीमेट और टेंडर लगाने की जिम्मेदारी एसई तीर्थ बांसल को सौंपी गई थी।
ये होता फायदा- रोजाना निकलते 500 टन प्लास्टिक कचरे का भी होता निपटारा
पांच साल पहले खन्ना के गांव इकोलाहा में बनी सड़क आज तक नहीं उखड़ी
करीब पांच साल पहले खन्ना के पास गांव इकोलाहा में 800 मीटर में प्लास्टिक वेस्ट से सड़क बनाई गई थी, जोकि अभी तक सही हालत में है। अगर नगर निगम की बात करें तो यहां पर हर साल नई सड़कें बनाई जाती हैं, जो घटिया क्वालिटी में होने के चलते जल्द उखड़ जाती हैं, जिससे जनता के पैसों की सीधे बर्बादी हो रही है। अभी मौजूदा सड़कों का हाल भी यही है। उधर, मेयर संधू ने कहा कि बीएंडआर ब्रांच के अफसरों को इस पर जल्द काम करने को आदेश दिए हैं।
पर्यावरण प्रदूषित होने से बचेगा, प्लास्टिक निस्तारण के लिए पैसे भी नहीं होंगे खर्च
गौर हो कि नष्ट नहीं होने से प्लास्टिक का कचरा पर्यावरण के लिए खतरा है। शहर से रोज 1100 मीट्रिक टन कचरे में 500 टन प्लास्टिक शामिल है। ऐसे में इसका सही से निस्तारण न होने पर ताजपुर रोड पर जाकर डंप हो रहा है। अब अगर प्लास्टिक कचरे को सड़क बनाने के लिए इस्तेमाल में लाया जाए तो इससे निगम को दोहरा फायदा होगा।
एक पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सकेगा। दूसरा प्लास्टिक के निस्तारण के लिए अलग से बजट भी नहीं रखना पड़ेगा। जबकि इसके इस्तेमाल से बनाई सड़कें सालों चलेंगी और हर साल बार-बार सड़कों पर खर्च होने वाले पैसे को बचाया जा सकता है।
ये हो रहा नुकसान- प्लास्टिक से रोड जालियां हो रही ब्लॉक
सिंगल यूज प्लास्टिक बैन का नोटिफिकेशन जारी हुए काफी समय बीत चुका है, लेकिन इसके बावजूद अभी तक रोक नहीं लगाई जा सकी है। सिंगल यूज प्लास्टिक से रोड जालियां ब्लॉक हो जाती हैं। सीवरेज को भी चोक कर देते हैं। ऐसे में सिंगल यूज प्लास्टिक को खत्म करने के लिए वॉर्ड 94 के पार्षद गुरप्रीत सिंह गोपी ने पिछली हाउस मीटिंग में ये बात सुझाव के तौर पर सामने रखी थी कि खन्ना में वेस्ट प्लास्टिक से सड़क बनाई गई है।
इसी पैटर्न पर यहां पर भी पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जाए। इसी के तहत मेयर संधू ने पार्षद के सुझाव पर इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी और इस पर काम करने को बीएंडआर ब्रांच को बोला गया था।
एक्सपर्ट व्यू- प्लास्टिक वेस्ट से बनी सड़क से बारिश में डामर का कटाव रुकता है
प्लास्टिक कचरे को कुछ लोग निगम से और कचरा बीनने वालों से सड़क बनाने को खरीद लेते हैं। फिर मशीन से इसे साफ कर 2.36 माइक्रोन से कम लंबी कतरने बनाई जाती हैं। इन्हें गिट्टी, डामर के मिक्सिंग प्लांट में डाला जाता है। 125 डिग्री पर गर्म होने पर यह गिट्टी, डामर के मिक्स में ऊपर से चिपक कर कोटिंग हो जाता है। इससे बारिश में डामर का कटाव रुकता है। 100% डामर में 8% प्लास्टिक का मिश्रण करते हैं। जबकि इससे बनी सड़कें टिकाऊ होती हैं।