पीएम मोदी की सुरक्षा में चूक मामला: 25 आरोपियों के खिलाफ वारंट जारी

तीन साल पहले पंजाब दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक मामले मामले की जांच कर रही पंजाब पुलिस ने 25 आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं। बड़ी बात यह कि मामले में पुलिस ने इन 25 आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा-307 हत्या के प्रयास सहित 6 अन्य धाराएं जोड़ी हैं, जो इस केस को मजबूत बनाती हैं।

हत्या का प्रयास सहित अन्य गैर जमानती धाराएं जोड़ने के बाद से पुलिस आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए लगातार छानबीन कर रही है। मामले में गठित तीन सदस्यीय स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) की जांच रिपोर्ट के आधार पर आईपीसी की धारा-307 (हत्या का प्रयास), 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वाहन करने में बाधा डालने), 341 (जबरन किसी व्यक्ति का साजिश के तहत रास्ता रोकना), 186 (किसी लोक सेवक के सार्वजनिक निर्वाहन में बाधा डालने), 149 (गैर कानूनी तरीके से कहीं एकजुट होना) और 8-बी नेशनल हाईवे एक्ट के तहत धाराएं जोड़ी गई हैं।

5 जनवरी 2022 को पीएम मोदी फिरोजपुर में एक रैली को संबोधित करने के लिए सड़क मार्ग के जरिये आ रह थे। इसके बाद उन्हें पीजीआई सैटेलाइट सेंटर का उद्घाटन करने भी जाना था, लेकिन रास्ते में घल खुर्द तहसील के नजदीक गांव पियाराना के पास बने फ्लाईओवर पर कई लोग एकजुट हो गए। ऐसे में पीएम मोदी को करीब आधे घंटे तक फ्लाईओवर पर रहना पड़ा था। उस समय दिल्ली लौटने से पहले पीएम मोदी ने पंजाब के अधिकारियों से कहा था कि अपने सीएम को धन्यवाद कहना कि मैं बठिंडा एयरपोर्ट तक जिंदा लौट पाया। तब राज्य में चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार सत्ता में थी।

एफआईआर में 26 लोगों के नाम शामिल
पुलिस ने 6 जनवरी 2022 को पहले अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। जांच के दौरान 26 लोगों को पुलिस ने चिह्नित किया, जो उस समय भीड़ में पीएम मोदी के काफिले को रोकने के लिए सड़क पर एकजुट हुए थे। इन 26 लोगों में भारतीय किसान यूनियन क्रांतिकारी और क्रांतिकारी पेंडू मजदूर यूनियन के किसान नेता व समर्थक शामिल थे, जिसमें प्रमुख तौर पर बलदेव सिंह जीरा महासचिव बीकेयू क्रांतिकारी का नाम शामिल है।

जिम्मेदार पुलिस अफसरों के खिलाफ चल रही जांच
प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक मामले में पंजाब सरकार दोषी अधिकारियों के खिलाफ भी जांच कर रही है। जांच के लिए पंजाब मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति संत प्रकाश को जांच अधिकारी नियुक्त किया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त जांच समिति की ओर से दोषी ठहराए जाने के लगभग तीन साल में सरकार ने यह कदम उठाया है। दोषी अधिकारियों में पूर्व डीजीपी एस चट्टोपाध्याय, तत्कालीन फरीदकोट के डीआईजी इंद्रबीर सिंह और तत्कालीन फिरोजपुर एसएसपी हरमबीर सिंह हंस शामिल हैं।

दोषी अधिकारियों पर बड़े जुर्माने की सिफारिश 
जांच कमेटी इन दोषी अधिकारियों का भी पक्ष सुनेगी। इससे पहले 12 जनवरी, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षा चूक की जांच के लिए पांच सदस्यीय विशेष समिति की अध्यक्षता के लिए पूर्व न्यायाधीश इंदु मल्होत्रा को नियुक्त किया था। समिति ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ बड़े जुर्माने की सिफारिश करते हुए मार्च 2022 में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। दोषी अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने से पहले एक जांच अधिकारी नियुक्त करने की सिफारिश की गई थी।

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