पंजाब सरकार अपनी योजनाओं और विकास कार्यों के बुनियादी ढांचे की रूपरेखा सुनिश्चित करने के लिए जल्द ही 1150 करोड़ रुपये का कर्ज लेने की तैयारी में है। इस संदर्भ में सरकार के वित्त विभाग की ओर से अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। इस कर्ज की एवज में सरकार अपने सरकारी स्टॉक को गिरवी रख रही है। बता दें पंजाब में 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली, महिलाओं को निशुल्क बस यात्रा और आम आदमी क्लिनिक को संचालित करने में सरकार को हर महीने हजारों करोड़ रुपये सब्सिडी के रूप में खर्च करने पड़ रहे है। सरकार पर सब्सिडी का बोझ लगातार बढ़ रहा है।

25 साल के अंतराल में इस कर्ज की अदायगी की जाएगी। इसके लिए सरकार की ओर से केंद्र से जरूरी मंजूरी भी ले ली गई है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की गाइडलाइंस के तहत सरकार यह कर्ज लेने की तैयारी कर चुकी है। दूसरी ओर, पंजाब की कर्ज सीमा 10 हजार करोड़ बढ़ाने की मांग को केंद्र सरकार जल्द पूरा कर सकती है। इस मामले में केंद्रीय वित्त मंत्रालय (खर्च विभाग) को पत्र लिखा जा चुका है।

पंजाब के 8500 करोड़ केंद्र ने रोके
केंद्र ने पंजाब सरकार के करीब 8500 करोड़ रुपये अलग-अलग योजनाओं के तहत रोक रखे हैं। नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) का 950 करोड़, आयुष्मान भारत योजना के तहत 249 करोड़, रूरल डेवलपमेंट फंड (आरडीएफ) के तहत 5600 करोड़, मंडी बोर्ड के तहत 1100 करोड़, नेशनल हेल्थ मिशन के 1100 करोड़, समग्र शिक्षा अभियान के 180 करोड़ और कैपिटल क्रिएशन के तहत 1800 करोड़ रुपये के फंड रोक रखे हैं।

बिजली खरीद पर 2757 करोड़ का खर्च बढ़ा
सरकार ने कर्ज सीमा 10 हजार करोड़ तक बढ़ाए जाने के प्रस्ताव पर केंद्र को स्थिति स्पष्ट की थी, 5 अप्रैल 2024 को पंजाब सरकार ने पत्र लिखकर अपना पक्ष पेश किया था। सरकार ने अपनी दलील रखी कि साल 2022-2023 में जब पावरकॉम में घाटा हुआ है, तो उससे पहले ही उदय स्कीम का 5 साल का समय समाप्त हो चुका था। साथ ही बताया कि साल 2022-23 में वित्तीय घाटे की वजह वित्तीय वर्ष के मुकाबले बिजली खरीद पर 2757 करोड़ की बढ़ोतरी होना है। साल 2022-23 में पूरे देश में 10 फीसदी विदेशी कोयला प्रयोग करने के लिए कहा गया था। इस वजह से पंजाब के खर्च बढ़े हैं। साल 2020-21, 2021-22 में पावरकॉम वित्तीय घाटे में नहीं था। साल 2023-24 में पावरकॉम 830 करोड़ मुनाफे में रही है, जबकि 24-25 बिजली दरों में बढ़ोतरी होने से कोई घाटा नहीं हो।