फिरोजपुर में सतलुज दरिया में पानी का स्तर कम होने का नाम नहीं ले रहा है। फिरोजपुर का सीमांत गांव कालू वाला (टापू) तीन तरफ दरिया से घिरा है और चौथी तरफ पाकिस्तान है। पिछले कई दिनों से गांव में पानी भरा हुआ है। गांव और दरिया एक समान हो चुके हैं। पाकिस्तान से भारत में प्रवेश हो रहे पानी वाली जगह से गांव की लगभग आठ एकड़ जमीन दरिया में गिर चुकी है। यही नहीं गांव निहाले किलचे की तरफ से उक्त गांव की करीब सात एकड़ जमीन दरिया में मिल गई है। इसी रफ्तार से पानी बढ़ता रहा तो उक्त गांव दरिया में समा जाएगा।

ग्रामीम सतनाम सिंह, मलकीत सिंह, निशान सिंह, चिमन सिंह व रत्तन सिंह का कहना है कि गांव में सात हजार एकड़ जमीन है। यहां पर करीब 65 घर हैं और आबादी तीन सौ है। ग्रामीणों का कहना है कि तकरीबन तीन सप्ताह से गांव में पानी भरा हुआ है। पानी धीरे-धीरे गांव की जमीन को दरिया में मिलाता जा रहा है। सोमवार और मंगलवार फिर से पानी का स्तर बढ़ा है। इसी तरह दस दिन और पानी बढ़ता रहा तो ये गांव दरिया में समा सकता है। 

गांव में जमी दो फुट रेत
सतनाम, निशान व चिमन का परिवार गांव में बने सरकारी प्राइमरी स्कूल में पनाह लिए बैठा है। दो परिवार और हैं, जो ऊंची जगह पर परिवार के संग बैठे हैं। ये लोग पशुओं की देख रेख कर रहे हैं। मलकीत का कहना है कि गांव की जमीन पर दो फुट रेत जम चुकी है। दरिया तीनों तरफ से गांव का नुकसान पहुंचाने में जुटा है। यहां रहने वाले कुछेक परिवार के लोग महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित जगह पर छोड़कर पशुओं और मकान की देखरेख कर रहे हैं। पानी की रफ्तार इतनी तेज है कि नाव चलाना भी मुश्किल है। सात हजार एकड़ में लगी धान और सब्जी की फसल नष्ट हो चुकी है। ग्रामीणों की पंजाब सरकार से मांग है कि उन्हें कहीं सुरक्षित जगह पर सरकारी जमीन दे जिस पर खेती कर अपने परिवार का पालन पोषण कर सके। ये बाढ़ 1988 की बाढ़ से ज्यादा खतरनाक साबित हो रही है।