पंजाबी नौजवानों को बर्बाद करने वाले व्यक्तियों का जल्द होगा पर्दाफाश: भगवंत मान

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पंजाब में नशे के मुद्दे को लेकर अब तक की सभी धारणाओं को तोड़ते हुए नया खुलासा किया है। मान का दावा है कि चिट्टा पंजाब में ही बनता है। उन्होंने यह भी कहा कि जल्द ही इसके जिम्मेदार लोगों का पर्दाफाश कर सामने लाया जाएगा। मान ने शुक्रवार को विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान यह बात कही। 

सीएम ने कहा कि उन्हें यह बात समझ नहीं आ रही कि राजस्थान की सीमा का 2.5 गुना से अधिक क्षेत्रफल और जम्मू-कश्मीर की सीमा का आधे से अधिक हिस्सा पाकिस्तान के साथ लगता होने के बावजूद, जहां कंटीली तार भी नहीं है, में नशे की कोई समस्या नहीं है। वहीं, पंजाब नशे की बीमारी से जूझ रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य में ‘चिट्टा’ तैयार किया जा रहा है। ऐसी घिनौनी गतिविधियों में शामिल और पंजाबी नौजवानों को बर्बाद करने के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों का जल्द ही पर्दाफाश किया जाएगा।

गौरतलब है कि चिट्टा व अन्य सिंथेटिक नशों की पंजाब में आमद सीमा पार पाकिस्तान से होने की बात कही जाती रही है। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक पंजाब में एक लाख लोगों में 836 नशे के शिकार हैं। यह आंकड़ा एक लाख लोगों पर 250 नशे के आदी लोगों संबंधी राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है। 

ऐसे बनता है चिट्टा

जिस तरह हेरोइन अफीम से बनने वाला उत्पाद है, उसी तरह सिंथेटिक ड्रग चिट्टा के उत्पादन में एमडीएमए, एलएसडी और मेथाम्फेटामिन के मिश्रण से तैयार किया जाता है। वैसे मेथाम्फेटामिन इसका मुख्य घटक है। इसे छोटे शब्दों में मेथ भी कहा जाता है और यह सेंट्रल नर्वस सिस्टम के लिए उत्तेजक का काम करता है, जिससे दिमाग और रीढ़ की हड्डी के बीच के उस महत्वपूर्ण हिस्से की सक्रियता बढ़ जाती है, जिसका काम शरीर के विभिन्न हिस्सों से सिग्नल लेना और कोई हरकत के लिए संदेश भेजना है।

मुश्किल होता है छोड़ना

चिट्टा का सेवन सीधे मुंह से निगलकर, नाक से सूंघकर, धुएं के जरिये, नस में इंजेक्शन लगाकर, मांसपेशियों में इंजेक्शन लगाकर या फिर त्वचा के बाहरी हिस्से में इंजेक्शन लगाकर किया जाता है। इसके सेवन से मतिभ्रम, मिर्गी जैसे दौरे और दिमाग में खून के रिसाव की हालत पैदा करते हैं। इस नशे की लत लगने के बाद इसे छोड़ पाना संभव नहीं रहता क्योंकि शरीर में इसकी जरूरत बढ़ने लगती है और व्यक्ति का जीवन इसी पर निर्भर हो जाता है, जो जल्दी ही व्यक्ति की मौत का कारण भी बन जाता है।

भयावह हैं आंकड़े

पंजाब सरकार द्वारा दर्ज आंकड़ों में 2015 में पंजाब में 39,54,168 लोग नशे की लत का शिकार पाए गए थे। सूबे में हर महीने नशे अथवा इससे जनित बीमारी से मरने वालों की संख्या 112 दर्ज की गई है, वहीं प्रतिवर्ष 1344 युवा दम तोड़ देते हैं। एनसीबी की रिपोर्ट के मुताबिक (2007-17) भारत में 25 हजार लोगों ने नशे की पूर्ति न होने के कारण आत्महत्या कर ली। इसमें 74 फीसदी मामले पंजाब के हैं। सबसे ज्यादा नशा अफीम, हेरोइन, भुक्की, चरस के रूप में प्रचलित रहा है, लेकिन बीते एक दशक से सूबे के युवा सिंथेटिक नशे के चपेट में आ गए हैं। अब तक माना जा रहा था कि अफीम, हेरोइन आदि के साथ सिंथेटिक नशा ‘चिट्टा’ भी सीमा पार से पंजाब पहुंच रहा है। हालांकि चिट्टा कोई प्राकृतिक नशीला पदार्थ नहीं बल्कि दवा उत्पादक फैक्टरियों का ही जैविक उत्पाद है, जो दर्द, मानसिक रोग, एलर्जी आदि रोगों में इस्तेमाल होने वाली दवाओं संबंधी केमिकल की अन्य नशीले केमिकल्स के साथ प्रक्रिया से तैयार होता है।

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