सीतापुर में पत्रकार राघवेंद्र बाजपेयी की हत्या के मामले में पांच महीने की जांच के बाद पुलिस को बड़ी सफलता मिली। जेल में बंद तीन आरोपियों से पूछताछ में दो शूटरों के नाम सामने आए थे। एसओजी और एसटीएफ ने लंबे समय तक उनके मूवमेंट पर नज़र रखी और सावन के दौरान कांवड़ियों के वेश में उनकी तलाश की। गुरुवार तड़के करीब 4:30 बजे हरदोई से पिसावां की ओर बढ़ते दोनों शूटरों की लोकेशन मिलने पर पुलिस ने घेराबंदी कर मुठभेड़ में उन्हें ढेर कर दिया।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, 8 मार्च को हत्या के बाद से ही एसओजी की स्वॉट, सर्विलांस और नारकोटिक्स टीमें लगातार उनकी तलाश में थीं। पहले उनके नोएडा में छिपे होने की जानकारी मिली थी। इस हत्याकांड से ‘8’ अंक का अजीब संयोग जुड़ा है—वारदात 8 मार्च को हुई, चार गोलियां राघवेंद्र को लगीं और चार गोलियों में ही दोनों शूटर मारे गए। राघवेंद्र की बाइक का नंबर 8005 था, आठवें महीने में उनका एनकाउंटर हुआ और 8 अगस्त को उनका अंतिम संस्कार होगा।
गांव के 95 वर्षीय रामप्रसाद शुक्ला ने खुलासा किया कि शूटरों के पिता कृष्ण गोपाल तिवारी ने नाजिमा नामक महिला से प्रेम संबंध के चलते अपना नाम बदलकर करीम खान रख लिया था। दोनों ने विवाह नहीं किया, लेकिन साथ रहे और उनके तीन बेटे—संजय, राजू और राहुल—हुए। उनकी एक बेटी का निधन हो चुका है।
एसपी सीतापुर अंकुर अग्रवाल ने बताया कि इस संयुक्त कार्रवाई के लिए एसओजी और एसटीएफ की टीम को कुल 1.25 लाख रुपये का नकद इनाम और सम्मान दिया जाएगा। उन्होंने इसे पुलिस के लिए बड़ी उपलब्धि और चुनौतीपूर्ण मामले में महत्वपूर्ण सफलता बताया।