अयोध्या। भगवान श्रीराम के अनुज भरत की तपोस्थली भरतकुंड सरोवर इन दिनों गंभीर संकट से जूझ रही है। सरोवर में बड़ी संख्या में मछलियों की मौत होने से श्रद्धालुओं में निराशा और आक्रोश का माहौल है। पानी की सतह पर तैरती मृत मछलियों ने सरोवर की पवित्रता और सुंदरता को धूमिल कर दिया है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि कई वर्षों से सरोवर की नियमित सफाई नहीं हुई। जलकुंभी और शैवाल के अनियंत्रित फैलाव से न केवल जल प्रदूषित हुआ है, बल्कि श्रद्धालुओं को स्नान के दौरान असुविधा भी झेलनी पड़ रही है। नगर पंचायत और पर्यटन विभाग के बीच जिम्मेदारी को लेकर खींचतान जारी रही, जिससे समस्या और गंभीर हो गई।
सभासद रामकृष्ण पांडेय ने बताया कि दो वर्ष पूर्व ग्रामीणों ने श्रमदान कर सफाई की थी, मगर उसके बाद से कोई कदम नहीं उठाया गया। नगर पंचायत का कहना है कि भरतकुंड पर्यटन विभाग के अधीन आता है, इसलिए रखरखाव की जिम्मेदारी उन्हीं की बनती है।
प्रशासन हरकत में आया
सोशल मीडिया पर मामले के उजागर होने के बाद प्रशासन सक्रिय हुआ। सोहावल की एसडीएम सविता राजपूत ने मौके पर पहुंचकर सरोवर का निरीक्षण किया और घोषणा की कि पांच अक्तूबर से सफाई अभियान शुरू होगा। निरीक्षण के दौरान मत्स्य विभाग की टीम भी मौजूद रही।
मत्स्य विभाग की रिपोर्ट
मत्स्य अधिकारी के अनुसार, सरोवर में मछलियों की संख्या अत्यधिक थी। इसके कारण ऑक्सीजन की कमी हो गई। साथ ही लगातार बादल छाए रहने से सूर्य की किरणें पानी में पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंच पाईं, जिससे ऑक्सीजन स्तर और घट गया। यही वजह मछलियों की मौत की मुख्य वजह मानी जा रही है।
स्थिति से निपटने के लिए तालाब में चूना डलवाया गया है और सफाई का काम भी प्रारंभ किया गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि हाल ही में किए गए सुंदरीकरण कार्य के दौरान पानी में रसायनों की मिलावट भी मछलियों के मरने का कारण हो सकती है।