बांदा जिले में रौद्र रूप दिखाने के बाद केन नदी का पानी घटने लगा, लेकिन यमुना का पानी बढ़ गया है। यमुना खतरे के निशान से करीब एक मीटर ऊपर बह रही है। यमुना की बाढ़ से पदारथपुर, खजुरी व केन से शंकर पुरवा सहित कई गांव और मजरे घिरे गए हैं। करीब 20 गांवों का संपर्क कट गया है। अधिकारियों ने मौके पर निरीक्षण कर स्थिति देखी और ग्रामीण को सचेत रहने के लिए कहा है।
केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक शनिवार को शाम पांच बजे केन नदी का जलस्तर 100.07 मीटर रहा, खतरे के निशान (104 मीटर) से करीब तीन मीटर कम है। इससे केन किनारे बसे सदर क्षेत्र के अछरौड़, ब्रह्मा डेरा, चटगन सहित कई गांवों के ग्रामीणों ने राहत की सांस ली। ब्रह्मा डेरा के किसान अवध किशोर का कहना है कि बाढ़ तो सिमट रही है, पर बीमारियां छोड़ रही है। स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन सिर्फ कागजी मदद के दावे करता है। चिल्ला में यमुना नदी और केन नदी का संगम है।
यहां केन नदी स्थिर है। दूसरी ओर चिल्ला में यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान 100 मीटर से करीब एक मीटर ऊपर है। हालांकि पानी स्थिर है। रात में उतरने की संभावना है। यमुना नदी किनारे बसे गांवों में जिलाधिकारी नगेंद्र प्रताप व एसपी अंकुर अग्रवाल ने जायजा लिया। बाढ़ क्षेत्र में लेखपालों, एसडीएम व तहसीलदार को ग्रामीणों पर नजर बनाए रखने की हिदायत दी। एसडीएम पैलानी शशि भूषण मिश्रा, नायब तहसीलदार जसपुरा वेद प्रकाश के साथ क्षेत्रीय बाढ़ ग्रस्त इलाकों का दौरा कर रहे हैं। शनिवार को ग्रामीणों से बातचीत की और हाल-चाल जाना। वहीं पैलानी में केन नदी का जलस्तर लगभग एक मीटर घट गया है। चिल्ला थाना क्षेत्र के खजूरी तथा पदारथपुर गांव में किसानों की तिल तथा ज्वार की फसलें जलमग्न हो गई हैं। किसानों का भारी नुकसान उठाना होगा।
तटवर्ती गांवों में नावों का सहारा, बिजली कटी
पैलानी। क्षेत्र के नरी-पलरा संपर्क मार्ग, मरझा-पडेरी संपर्क मार्ग, पडोहरा-नांंदादेव संपर्क मार्ग, सिंधनकला-तुरी संपर्क मार्ग शनिवार को भी बंद रहे। यहां रपटों के करीब दो मीटर ऊपर तेज बहाव है। शंकर पुरवा व खजूरी गांव पानी से घिरे हैं। यहां ग्रामीणों के आने-जाने के लिए नाव ही एक सहारा है। प्रशासन की ओर से यहां स्टीमर व नाविक आदि की व्यवस्था नजर नहीं आ रही हैं। इन बाढ़ग्रस्त गांवों में चार दिन से बिजली नहीं आ रही है। इससे लोगों के मोबाइल तक बंद हैं।