ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने सोमवार को मुस्लिम समाज के लिए नया एजेंडा जारी किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में मुस्लिम समुदाय कई सामाजिक और नैतिक बुराइयों से जूझ रहा है, जिन्हें दूर करने के लिए आंदोलन चलाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि बरेलवी तबका अब तक राजनीति में पीछे रहा है, क्योंकि उलमा ने सियासत से दूरी बनाई। इससे युवाओं को आगे बढ़ने का अवसर नहीं मिल पाया। मौलाना के अनुसार मौजूदा हालात में जरूरी है कि बरेलवी समुदाय भी राजनीतिक क्षेत्र में कदम बढ़ाए और हर जिले में नेतृत्व को तैयार किया जाए, ताकि दमदार प्रतिनिधित्व हो सके।
मौलाना रजवी ने शिक्षा पर विशेष बल देते हुए कहा कि पैगंबर-ए-इस्लाम ने सबसे पहले शिक्षा की अहमियत बताई थी। इसके बावजूद मुसलमान शिक्षा के मामले में अन्य समुदायों से पिछड़े हैं। उन्होंने कहा कि केवल सरकारों पर निर्भर रहने के बजाय मुस्लिम समाज को खुद आगे आकर नई पीढ़ी की तालीम और तरबियत का जिम्मा उठाना होगा।
मौलाना रजवी के एजेंडे के मुख्य बिंदु
गैर-शरई परंपराएं
- शादी को इस्लाम ने आसान बनाया, लेकिन समाज में इसे महंगा और दिखावटी बना दिया गया है।
- निकाह में दूल्हा-दुल्हन की तैयारियों में गैर-जरूरी रीति-रिवाज अपनाए जाते हैं।
- शादियों में बारात, वलीमा और लड़की वालों की ओर से किए जाने वाले खर्च और हॉल बुकिंग को फिजूलखर्ची बताया।
- निकाह के दिन दहेज की नुमाइश और दहेज की मांग को नाजायज करार दिया।
- शादी-ब्याह में खड़े होकर खाना खिलाने की प्रथा को शरीयत के खिलाफ बताया।
शिक्षा क्षेत्र में सुझाव
- अमीर मुसलमानों से स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय खोलने की अपील।
- दीनी और दुनियावी शिक्षा में संतुलन और विज्ञान-तकनीक में जागरूकता पर जोर।
- आईएएस, आईपीएस, पीसीएस आदि प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कोचिंग सेंटर शुरू करने की जरूरत।
- गरीब और कमजोर छात्रों को निशुल्क शिक्षा व कोचिंग उपलब्ध कराने की सिफारिश।
- लड़कियों के लिए अलग स्कूल और कॉलेज स्थापित करने की बात कही, ताकि वे भी तरक्की कर सकें।
फिजूलखर्ची और नशे पर रोक
- नौजवानों में बढ़ती नशाखोरी को परिवार और समाज के लिए खतरा बताया।
- मस्जिद के इमाम और बुद्धिजीवियों से इस बुराई के खिलाफ काम करने की अपील।
- शादी-ब्याह, जुलूस, लंगर और उर्स में होने वाली बेपनाह खर्ची को व्यर्थ बताया और बचने की नसीहत दी।
- मुसलमानों को पीरी-मुरीदी को असल इस्लाम मानने से बचने की सलाह दी और कहा कि इस्लाम का असल सार तोहिद, नमाज, रोजा, हज और जकात है।