लखनऊ। प्रदेश सरकार ने बहुचर्चित बाइक बोट घोटाले से संबंधित सभी मुकदमों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने के लिए केंद्र सरकार को अपनी सिफारिश भेज दी है। इस घोटाले के संबंध में प्रदेश के अलग-अलग थानों में कुल 118 मुकदमे दर्ज हैं। इसमें से 106 मुकदमों की जांच प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) कर रही है, जबकि 11 मुकदमों की जांच सीबीआई कर रही है।

यदि केंद्र सरकार ने सिफारिश मान ली तो सभी 118 मुकदमों की जांच सीबीआई करेगा। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी इस मामले में केस दर्ज कर रखा है। ईडी कई आरोपियों की संपत्तियां भी जब्त कर चुका है। अभी हाल ही में शासन ने लंबे समय से फरार चल रहे घोटाले के चार आरोपितों पर पांच-पांच लाख रुपये इनाम घोषित किया था। इनमें घोटाले के मुख्य आरोपित बसपा नेता संजय भाटी की पत्नी दीप्ति बहल भी शामिल है। दीप्ति के विदेश में होने की संभावना जताई जाती है।

लगभग 4000 करोड़ रुपये से अधिक के इस घोटाले में अलग-अलग थानों में दर्ज मुकदमों की जांच संबंधित थाने की पुलिस कर रही थी। बाद में शासन ने इन मुकदमों की जांच ईओडब्ल्यू के मेरठ सेक्टर को सौंप दी। इस बीच अलग-अलग दायर याचिकाओं पर हाईकोर्ट ने 11 मुकदमों की जांच सीबीआई को सौंप दी। ईओडब्ल्यू और सीबीआई के मुकदमों के आधार पर ईडी ने आरोपितों के खिलाफ प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत मुकदमा दर्ज किया था। घोटाले में आरोपी कंपनी मेसर्स गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड की नींव तत्कालीन बसपा नेता संजय भाटी ने डाली थी।

कंपनी ने मल्टी लेवल मार्केटिंग स्कीम के तहत निवेशकों को आकर्षक लाभ का झांसा झांसा देकर उनकी गाढ़ी कमाई हड़प ली। टैक्सी बाइक योजना में निवेश का झांसा देकर यूपी के अलावा दिल्ली, हरियाणा व राजस्थान के लोगों से ठगी की गई। वर्ष 2019 में कंपनी के संचालक निवेशकों की रकम लेकर फरार हो गए। इसके बाद संजय भाटी,पवन भाटी, करण पाल और बीएन तिवारी समेत कई आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।