उत्तर प्रदेश के इटावा में बन रही केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति को लेकर उत्तराखंड के तीर्थ पुरोहितों में असंतोष देखा जा रहा है। बदरीनाथ-केदारनाथ से जुड़े धार्मिक आचार्यों और संगठनों ने इसे धार्मिक परंपराओं के विरुद्ध बताते हुए गहरी नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि यह न केवल श्रद्धालुओं की आस्था से खिलवाड़ है, बल्कि मूल धाम की गरिमा और पहचान को भी क्षति पहुंचाने वाला प्रयास है।

मंदिर के नाम और स्वरूप पर आपत्ति

श्रावण मास के पहले सोमवार को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर इटावा स्थित एक मंदिर का वीडियो साझा किया, जो स्वरूप में केदारनाथ मंदिर से मेल खाता है। वीडियो में इस मंदिर को ‘केदारेश्वर’ नाम से दर्शाया गया है, जिसका निर्माण लगभग पूर्ण हो चुका है और पूजा-अर्चना प्रारंभ हो गई है।

मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भीड़ और दुकानों की स्थापना के दृश्य सामने आने के बाद यह मामला तेजी से सुर्खियों में आ गया। उत्तराखंड के धार्मिक संगठनों और तीर्थ पुरोहितों ने इस मामले में तीव्र प्रतिक्रिया दी है।

बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति और धर्माचार्यों की प्रतिक्रिया

श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी ने इटावा में केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति बनाए जाने का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि मामले की कानूनी समीक्षा कर उचित विधिक कार्रवाई की जाएगी।

केदारसभा के अध्यक्ष राजकुमार तिवारी ने इसे धार्मिक मूल्यों का अपमान बताया और मंदिर की अस्मिता पर सीधा हमला करार दिया।
चारधाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत के उपाध्यक्ष संतोष त्रिवेदी ने चेतावनी दी कि यदि निर्माण नहीं रोका गया तो तीर्थ पुरोहित लखनऊ पहुंचकर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
कोटेश्वर धाम के महंत शिवानंद गिरी महाराज ने इस प्रयास को हिन्दू परंपराओं को कमजोर करने वाला बताया और सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की।

तीर्थ पुरोहितों को उम्मीद है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी दिल्ली में लिए गए निर्णय की तरह इस मामले में भी सख्त रुख अपनाएंगे।

निर्माण की पृष्ठभूमि

यह मंदिर इटावा में सफारी पार्क के समीप बन रहा है, जिसकी आधारशिला वर्ष 2021 में अखिलेश यादव द्वारा रखी गई थी। अनुमानित लागत लगभग 40 से 50 करोड़ रुपये बताई जा रही है। मंदिर का मुख्य ढांचा केदारनाथ मंदिर की तर्ज पर डिजाइन किया गया है, जिसकी ऊंचाई 72 फीट रखी गई है — हालांकि इसे मूल मंदिर से थोड़ा छोटा बनाया गया है। इसके निर्माण में दक्षिण भारत के वास्तुकार, अभियंता और शोधकर्ता शामिल हैं।

पहले भी हो चुका है विरोध

केदारनाथ मंदिर के स्वरूप की नकल का यह पहला मामला नहीं है। जुलाई 2023 में दिल्ली में एक ऐसा ही प्रस्ताव सामने आया था, जिसका तीर्थ पुरोहितों और धार्मिक संगठनों ने व्यापक विरोध किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के हस्तक्षेप के बाद दिल्ली में मंदिर निर्माण रोक दिया गया था।

नाम और स्वरूप के दुरुपयोग पर रोक का निर्णय

दिल्ली के अनुभव के बाद उत्तराखंड सरकार ने 18 जुलाई 2024 को एक कैबिनेट प्रस्ताव पारित किया, जिसमें चारधाम (यमुनोत्री, गंगोत्री, बदरीनाथ और केदारनाथ) के नाम और स्वरूप के अनुकरण पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया गया। धर्मस्व विभाग को निर्देश दिए गए कि इस प्रस्ताव को कानूनी रूप प्रदान किया जाए ताकि भविष्य में धार्मिक पहचान के दुरुपयोग को रोका जा सके।