उत्तर प्रदेश में जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के मुखिया राजा भैया ने लोकसभा चुनाव में किसी भी दल को समर्थन न देने का ऐलान किया है. उन्होंने जनता से अपील की है कि वो अपने विवेक और अपनी पसंद से मतदान करें. इस ऐलान से पहले कौशांबी से बीजेपी उम्मीदवार और मौजूदा सांसद विनोद सोनकर व केंद्रीय मंत्री संजीव बलियान ने बेंती में कुंडा कोठी पहुंचकर रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया से मुलाकात की थी.
राजा भैया और बीजेपी नेताओं के साथ मुलाकात की तस्वीर जैसे ही सामने आई लोकसभा सीट के चुनावी समीकरण बदलने की चर्चा शुरू हो गई थी. कौशांबी लोकसभा सीट का चुनावी समीकरण यहां की तीन विधानसभा सिराथू, मंझनपुर व चायल के अलावा प्रतापगढ़ की 2 विधानसभा बाबागंज व कुंडा तय करती है. यही वजह है कि बालियान और सोनकर राजा भैया से मिलने पहुंचने थे, मुलाकात के बाद राजा भैया ने ऐलान कर एक तरह से बीजेपी को भी झटका देने का काम किया है.
क्या कहता है सियासी गणित?
आंकड़ों के मुताबिक बाबागंज की 326171 व कुंडा के 364472 वोटर लोकसभा की सीट पर खासा प्रभाव डालते हैं. बाबागंज व कुंडा विधानसभा का सियासी गणित विधायक व बाहुबली राजा भैया के सियासी दांव-पेंच पर निर्भर करती है. कौशांबी निर्वाचन क्षेत्र में इस बार 1904466 पात्र मतदाता हैं. जो अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. इनमें 1009841 पुरुष और 894459 महिलाएं और 166 ट्रांसजेंडर मतदाता शामिल हैं.
ठाकुर वोटरों पर है बीजेपी की नजर
इनमें से दलितों वोटरों की संख्या 6.5 लाख के आसपास है. मुस्लिम वोटरों की संख्या लगभग 2.5 लाख है जबकि ब्राह्मण, पटेल और यादव वोट लगभग 2.5 लाख हैं. मौर्य और कुशवाहा की संख्या 1.1 लाख है. पाल वोटरों की संख्या 80000 है. 60,000 के आसपास निषाद और कश्यप वोटर भी हैं. वहीं, क्षत्रिय और प्रजापति वोटरों की संख्या 50000-50000 है. लोधी मतदाताओं 40000 जबकि करीब 1.2 लाख अन्य मतदाता भी हैं.
सोनकर का सामना युवा पुष्पेंद्र से
कौशांबी लोकसभा सीट की बात करें तो सपा ने यहां से पूर्व कैबिनेट मंत्री इंद्रजीत सरोज के बेटे पुष्पेंद्र को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. पुष्पेंद्र को राजनीति के खेल का नया खिलाड़ी कहा जा रहा है. एक तरह से कह सकते है कि पुष्पेंद्र का सक्रिय राजनीति एंट्री हो रही है. माना जाता है सपा ने पूर्व कैबिनेट मंत्री इंद्रजीत सरोज के सियासी जमीन को देखते हुए पुष्पेंद्र को टिकट दिया है. इंद्रजीत कई चुनाव लड़ चुके हैं, सियासी दांव पेंच और समीकरण सेट करने का उनके पास अच्छा खासा अनुभव भी है.