लखनऊ पुलिस ने किराये पर गाड़ी लगाने का झांसा देकर वाहन हड़पकर बेचने वाले पांच शातिर आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों के कब्जे से 13 चार पहिया वाहन बरामद किए गए हैं, जिनकी अनुमानित कीमत लगभग दो करोड़ रुपये है। एसएसपी ने बताया कि आरोपियों ने त्रिलोचना नामक फर्म बनाकर लखनऊ के बिजनौर में कार्यालय खोला था।
घटना की शुरुआत गंगाघाट कोतवाली क्षेत्र के भातूफार्म मोहल्ला निवासी दिलीप वर्मा की शिकायत से हुई। उन्होंने बताया कि प्रेमनगर मोहल्ला निवासी रितिक पाल से 11 जून 2025 को उन्होंने तीन लाख रुपये में कार खरीदी थी, जिसमें 50 हजार रुपये डिजिटल माध्यम से दिए गए। गाड़ी ट्रांसफर कराने के लिए बार-बार कहने पर रितिक और उसके साथी कार लेकर चले गए।
जांच में सामने आया कि रितिक पाल का यह गिरोह संगठित था और इसके अन्य सदस्य शुक्लागंज के अलग-अलग मोहल्लों में रहते हैं। पूछताछ में उसके द्वारा शिवा गुप्ता, प्रसून सैनी, रिशू गौतम और गौरव गौतम के नाम बताए गए। पुलिस ने आरोपियों की निशानदेही पर 13 लग्जरी वाहन बरामद किए।
एसपी दीपक भूकर ने बताया कि गिरोह छह महीने से यह काम कर रहा था। फर्म के नाम से वाहन मालिकों के साथ एग्रीमेंट कर लिया जाता और उन्हें 25 से 30 हजार रुपये मासिक किराये का झांसा दिया जाता। तीन महीने तक किराया समय पर देने के बाद वाहन बेच दिए जाते। खरीदार जब वाहन अपने नाम कराने आते, तो आरोपियों ने कुछ कमी बताकर गाड़ी वापस लेकर दूसरी गाड़ी देने का बहाना बनाया।
बरामद गाड़ियों में सपा प्रमुख अखिलेश यादव के पीएसओ जेपी यादव की वेन्यू कार भी शामिल है, जिसे मासिक 25 हजार रुपये किराये पर फर्म को दी गई थी।
पुलिस के अनुसार गिरोह का मास्टर माइंड शिवा गुप्ता है, जो ओटी सहायक का कोर्स कर चुका है और निजी अस्पतालों में नौकरी करता था। अन्य आरोपी स्नातक हैं। पुलिस अब फर्म और आरोपियों के बारे में और जानकारी जुटा रही है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि कुल कितने वाहन फर्म में शामिल थे।