यमुना नदी में आई बाढ़ मथुरा जिले में भारी तबाही मचा रही है। रविवार रात जलस्तर 167.67 मीटर तक पहुँच गया, जो अब तक का सबसे उच्च स्तर है। इसके चलते मथुरा और वृंदावन की कई कॉलोनियों के साथ जिले के 54 गांव बाढ़ की चपेट में आ गए। सोमवार को जिले में स्कूलों की छुट्टी भी बढ़ा दी गई।
बाढ़ का असर दिन-प्रतिदिन और गंभीर होता जा रहा है। रविवार रात लगभग दो बजे जलस्तर बढ़ने के कारण लक्ष्मीनगर क्षेत्र की आधा दर्जन कॉलोनियों में पानी घुस गया। नौ गांवों में भी बाढ़ का पानी फैल गया। मथुरा के ईसापुर, अयोध्यानगर, लक्ष्मीनगर, हंसगंज और तिवारीपुरम समेत कई कॉलोनियों में पानी पांच फीट तक भर गया।
अयोध्यानगर में महेंद्र शर्मा का पक्का मकान रात 12 बजे भरभराकर गिर गया। उनके घर के आसपास चार फीट पानी भरा हुआ था। शर्मा अपने परिवार के साथ घर में सो रहे थे, जब फर्श धंसने लगा। उन्होंने तुरंत अपने पत्नी, भाई और चार बेटियों को सुरक्षित बाहर निकाला। कुछ ही मिनटों में मकान पूरी तरह गिर गया।
दूसरी ओर, यमुना का जलस्तर दिन में कुछ कम हुआ। सोमवार शाम छह बजे जलस्तर 167.64 मीटर पर आ गया, जो खतरे के निशान से अभी भी डेढ़ मीटर ऊपर है। प्रशासन ने राहत की उम्मीद जताई है क्योंकि हथिनीकुंड बांध से 37,000 क्यूसेक और ओखला से 84,000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। मथुरा में बाढ़ का प्रबंधन करने के लिए गोकुल बैराज से 1.60 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया।
प्रभावित लोगों को प्रशासन द्वारा संचालित 25 राहत शिविरों में पहुंचाया जा रहा है। वर्तमान में लगभग पांच हजार लोग शिविरों में रह रहे हैं, जहां उन्हें सभी आवश्यक सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। सोमवार को विधायक श्रीकांत शर्मा, डीएम चंद्रप्रकाश सिंह और एसएसपी श्लोक कुमार ने लक्ष्मीनगर स्थित सुभाष इंटर कॉलेज और लक्ष्मी गार्डन में चल रहे बाढ़ राहत शिविर का निरीक्षण किया और प्रभावित लोगों से हालचाल पूछा।
बाढ़ के कारण मथुरा के सभी स्कूल बंद हैं। डीएम चंद्रप्रकाश सिंह के आदेश पर जिला विद्यालय निरीक्षक रवींद्र सिंह ने मंगलवार को भी कक्षा 1 से 12 तक स्कूलों में अवकाश घोषित किया। जिले में स्कूल चार सितंबर से बंद हैं।