अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के मिस्र के ग्रैंड मुफ्ती डॉ. शौकी इब्राहिम अब्देल करीब अल्लाम ने कहा कि विविधताओं और मतभेदों को मान्यता देना भी सकारात्मक कदम है, जो ईश्वरीय उपहार है। मंगलवार को एएमयू के कैनेडी हॉल में ‘सभ्यताओं के बीच संवाद’ कार्यक्रम में वह बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि इस्लाम की सच्ची भावना को समझने-समझाने की जरूरत है। 

डॉ. शौकी ने कहा कि पैगंबर ने अपने साथियों को अबीसीनिया भेजा, जो मुख्य रूप से एक ईसाई क्षेत्र था और मदीना में उन्होंने ‘मदीना के संविधान’ के रूप में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। पैगंबर मोहम्मद दया और करुणा का प्रतीक थे। यह हमारी साझा जिम्मेदारी है कि हम गलत तरीके से इसकी व्याख्या करने वालों से इस्लाम को बचाएं और दुनिया में शांति और आपसी सौहार्द के दूत बनें।

सम्बोधित करते मिस्र के ग्रैंड मुफ्ती डॉ. शौकी इब्राहिम अब्देल करीब अल्लाम

उन्होंने कहा कि एक महान दूरदर्शी सर सैयद अहमद खान द्वारा स्थापित, यह संस्था ऐतिहासिक है। शांति बनाए रखने में इसकी अहम भूमिका है। कुलपति प्रो. मोहम्मद गुलरेज ने कहा कि मानवता की प्रगति के लिए सभ्यताओं और विभिन्न धर्मों के लोगों के साथ जुड़ना ही एकमात्र रास्ता है। उन्होंने नई दिल्ली में विश्व सूफी शिखर सम्मेलन (2016) और दावोस में विश्व आर्थिक मंच (2016) आदि सहित विभिन्न वैश्विक मंचों पर शांति का संदेश फैलाने के लिए प्रशंसा की। 

कुलसचिव मोहम्मद इमरान ने डॉ. शौकी का स्वागत किया। उन्होंने एएमयू के दारा शिकोह सेंटर फॉर इंटरफेथ अंडरस्टैंडिंग एंड डायलॉग का भी उल्लेख किया। भारत और मिस्र के बीच साझा संबंधों पर रोशनी डाली। कुलपति ने ग्रैंड मुफ्ती को एक स्मृति चिन्ह और कॉफी-टेबल बुक जहान-ए-सैयद और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का इतिहास 1920-2020 भेंट की। 

छात्र कल्याण के डीन प्रो. अब्दुल अलीम ने धन्यवाद ज्ञापित किया। एएमयू के अरबी विभाग के अध्यक्ष प्रो. मोहम्मद सनाउल्लाह ने अंग्रेजी भाषण का अरबी में अनुवाद किया। ग्रैंड मुफ्ती के अरबी भाषण का अनुवाद ग्रैंड मुफ्ती के सलाहकार डॉ. इब्राहिम नेगम ने अंग्रेजी में किया। संचालन डॉ. शारिक अकील ने किया।