इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी की पुनरीक्षण याचिका पर बुधवार को सुनवाई पूरी कर निर्णय सुरक्षित रख लिया है। इस दौरान हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि अंतिम फैसला आने तक वाराणसी की विशेष अदालत का निर्णय स्थगित रहेगा। यह आदेश न्यायमूर्ति समीर जैन की अदालत ने राहुल गांधी की याचिका पर दिया। मामला उनके अमेरिका में दिए गए बयान से जुड़ा है, जिस पर वाराणसी के नागेश्वर मिश्रा ने प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की थी।

वाराणसी के न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने 28 नवंबर 2024 को यह कहते हुए प्राथमिकी दर्ज करने की मांग खारिज कर दी थी कि भाषण अमेरिका में दिया गया था, इसलिए मामला उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। इसके बाद सत्र/पुनरीक्षण अदालत ने 21 जुलाई 2025 को इस आदेश को पलटते हुए मजिस्ट्रेट कोर्ट को पुनः सुनवाई करने का निर्देश दिया। राहुल गांधी ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी।

हाईकोर्ट में बुधवार को करीब तीन घंटे तक दोनों पक्षों की दलीलें सुनी गईं। राहुल गांधी की ओर से कहा गया कि वाराणसी अदालत का आदेश न केवल गलत है बल्कि अधिकार क्षेत्र से बाहर भी है। वहीं शिकायतकर्ता नागेश्वर मिश्रा ने दावा किया कि गांधी का बयान भड़काऊ और समाज में विभाजन पैदा करने वाला था।

इस विवाद की शुरुआत सितंबर 2024 में हुई थी, जब राहुल गांधी ने अमेरिका में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि भारत में सिखों के लिए माहौल अच्छा नहीं है। उनके इस बयान को भड़काऊ और विभाजनकारी बताते हुए नागेश्वर मिश्रा ने सारनाथ थाने में एफआईआर दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने अदालत का रुख किया।

न्यायिक मजिस्ट्रेट (द्वितीय) ने 28 नवंबर 2024 को मामला अमेरिका में दिए गए भाषण से जुड़ा होने के कारण अपने क्षेत्राधिकार से बाहर होने के कारण खारिज कर दिया। इसके बाद नागेश्वर मिश्रा ने सत्र न्यायालय में याचिका दाखिल की, जिसे 21 जुलाई 2025 को विशेष न्यायाधीश की अदालत ने स्वीकार कर लिया। राहुल गांधी ने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दाखिल की है और अपने पक्ष में तर्क दिया कि वाराणसी अदालत का आदेश अवैध और अधिकार क्षेत्र से बाहर है। अब हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई तक वाराणसी अदालत के आदेश पर रोक लगी रहेगी।