समाजवादी पार्टी की जिला और महानगर इकाइयों के भंग होने के बाद से संगठन में आपसी मतभेद खुलकर सामने आने लगे हैं। गुटबाजी इस हद तक बढ़ चुकी है कि कई वरिष्ठ पदाधिकारी एक-दूसरे से दूरी बनाए हुए हैं और पार्टी बैठकों व कार्यक्रमों से भी दूरी बरत रहे हैं।
फतेहाबाद रोड स्थित पार्टी कार्यालय की बिजली कटने की घटना से शुरू हुआ विवाद अब संगठनात्मक टकराव का रूप ले चुका है। बकाया बिल के चलते कटा बिजली कनेक्शन भले ही दोबारा जोड़ दिया गया हो, लेकिन पिछले दो माह से जिला और महानगर इकाइयों के बीच तालमेल की कमी स्पष्ट दिखाई दे रही है।
बैठकें बंटीं, पदाधिकारी दो धड़ों में
बूथ प्रबंधन से लेकर मासिक समीक्षा और अन्य प्रमुख अभियानों तक में दोनों इकाइयों के प्रमुख अलग-अलग सक्रियता दिखा रहे हैं। दोनों धड़े अपने-अपने स्तर पर कार्यक्रम आयोजित कर औपचारिकताएं निभा रहे हैं, जिससे संगठनात्मक एकता प्रभावित हो रही है।
इसी बीच, पूर्व जिलाध्यक्ष और निवर्तमान जिला उपाध्यक्ष के बीच लंबे समय से चला आ रहा विवाद अब ठंडा नहीं पड़ा है। वहीं, अब पूर्व जिलाध्यक्ष और एक प्रदेश सचिव के बीच भी टकराव की स्थिति बन गई है। इन अंदरूनी झगड़ों से न केवल पार्टी के पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) समीकरण को झटका लग रहा है, बल्कि कार्यकर्ताओं का मनोबल भी कमजोर होता नजर आ रहा है।
संगठन को जोड़ने की कोशिश करेंगे: सुमन
पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामजीलाल सुमन ने स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि संगठन एक परिवार की तरह होता है और आपसी मनमुटाव से पार्टी की जड़ें कमजोर होती हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि जिला और नगर इकाइयों के बीच समन्वय में कमी की जानकारी मिली है। इस मुद्दे को लेकर जल्द ही राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से चर्चा की जाएगी।