नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों और बिल्डर्स के बीच कथित मिलीभगत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए नई एसआईटी गठित करने का आदेश दिया है। अधिकारियों पर आरोप है कि बिल्डर्स के साथ मिलकर मनमानी की गई और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिला। पिछली एसआईटी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि इस गठजोड़ के चलते किसानों को ज़रूरत से अधिक मुआवजा देकर उनकी ज़मीन बिल्डर्स को दी गई। कोर्ट ने इसे गंभीर मामला मानते हुए विस्तृत जांच को आवश्यक बताया।
लगभग आठ महीने में यह दूसरा मौका है जब सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी पर कठोर टिप्पणी की है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ को पूर्व एसआईटी ने सुझाव दिया था कि भ्रष्टाचार की गहराई जानने के लिए अधिकारियों और उनके परिजनों की बीते दस वर्षों में अर्जित संपत्तियों की फोरेंसिक जांच होनी चाहिए। नई एसआईटी इसी पहलू की पड़ताल करेगी।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि नोएडा को महानगर परिषद में बदलने पर जल्द निर्णय लें। ऐसा होने पर नोएडा में म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन का गठन होगा, जिससे अथॉरिटी का 50% से अधिक रखरखाव से जुड़ा कार्य कॉरपोरेशन को स्थानांतरित हो जाएगा।